संगठन की प्रदेश अध्यक्ष डॉ. विमला मिश्रा ने कहा बच्चे अपने माता -पिता का आदर करें तथा उन्हें वृद्धाश्रमों में रोते हुए मरने को न छोड़ें।
लखनऊ. वैसे तो 14 फरवरी यानी वैलेंटाइन-डे को लोग ‘प्यार के दिन’ के रूप में पूरी दुनिया में बहुत ही धूम-धाम से मनाते हैं। लेकिन क्या आप को पता है कि इस दिन युवाओं के अलावा किशोर भी अपनी हदों को पार कर देते हैं। इसके चलते दुनिया के 28 विकसित देशों में हर साल साढ़े 12 लाख किशोरियां गर्भवती हो जातीं हैं। इतना ही नहीं 5 लाख लड़कियां गर्भपात करातीं हैं। जबकि साढ़े 7 लाख मां बनकर सरकार एवं माता-पिता पर बोझ बन जातीं हैं।
यह हम नहीं बल्कि महिला उत्थान मंडल लखनऊ का कहना है। इसीलिए समिति ने इस दिन को ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ के रूप में मनाने की अपील की है। समिति ने शनिवार रात गोमतीनगर के विश्वासखण्ड में भव्य पूजन कराया जिसमें समिति के सदस्यों के अलावा स्थानीय नागरिकों बच्चों ने भाग लेकर इस दिन को प्यार के दिन के रूप में न मनाकर अपने माता-पिता की भाव पूर्वक पूजा कर मनाने का बचन दिया।
माता-पिता को बृद्धाश्रम में मरने के लिए न छोड़ें बच्चे
संगठन की प्रदेश अध्यक्ष डॉ. विमला मिश्रा के साथ सर्व दीप्ति मूलचंदानी, प्रीता शुक्ला, काम्या, सुमन श्रीवास्तवा, शिवानी यादव, सुमन यादव, मधुलिका श्रीवास्तव ने कहा प्रथम पूज्य भगवान गणेश तथा परम मातृ-पितृ भक्त श्रवणकुमार के आदर्शों पर चलकर बच्चे अपने माता -पिता का आदर करें तथा उन्हें वृद्धाश्रमों में रोते हुए मरने को न छोड़ें।
9 सालों से कर रहे योगदान
विमला ने बताया पिछले 9 सालों से आशाराम बापू के इस लोकमंगलकारी संकल्प के फलस्वरूप पिछले साल की तरह इस वर्ष भी समस्त विश्व में 14 फरवरी को ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ के रूप में करोड़ों लोगों द्वारा मनाया जा रहा है। इसी कड़ी में ‘महिला उत्थान मंडल लखनऊ’ की सेवाभावी सदस्याओं ने विश्वासखंड, गोमतीनगर में भावपूर्ण पूजन कराया। जिसमें गणमान्य नागरिकों के साथ ही जनसामान्य की भारी भीड़ भी बड़ी उत्सुकता से इस अद्भुत कार्यक्रम में सम्मिलित हुई। सभी ने इस प्रयास को मुक्त कंठ से सराहा और बापूजी जैसे करुणामय संत के प्रति हो रहेअन्याय के प्रति रोष प्रकट किया।
बच्चों को बांटे गए उपहार
विमला ने बताया कार्यक्रम के उपरांत बच्चों को आकर्षक पुरस्कार भी भेंट किये गए तथा क्रांतिकारी सकारात्मक परिवर्तन लाने वाले ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ की महिमा से युक्त पत्रक बाँटे गए लोग ये पर्चे बड़े आदर से ले रहे थे और ज़्यादा लोगों तक ये शुभ सन्देश पहुंचाने के लिए और भी पर्चे माँग कर ले जा रहे थे। इसके अलावा सभी को उत्सुकता से बांट भी रहे थे।