बड़ा सवाल तो आज भी यही है कि फिर पीएम ने ट्वीट ही क्यों किया था?

The Prime Minister told the nation without Pakistan Why? Congress

आज के ज्यादातर न्यूजपेपर्स में संसद में हंगामा और आर्थिक सर्वे को महत्वपूर्ण जगह दी गई है। HT ने स्मृति इरानी के झूठे वक्तव्यों की पूरी खबर को भाजपा की किरकिरी पर केंद्रित रखा है। मुख्तार अब्बास नकवी और उदित राज के बयान के जरिये इसे पुख्ता किया है। न्यूज में अलग नजरिया के लिहाज से यह कवरेज दूसरों के मुकाबले बेहतर है। लेकिन एक बड़े सवाल का जवाब इसमें नहीं है। इस न्यूज पेपर ने जिन वक्तव्यों के आधार पर पार्टी की बुरी गत बताई है, उसी वक्तव्य को पीएम नरेंद्र मोदी ने दो दिन पहले अपने ऑफिशियल एकाउंट से ट्वीट किया था। साफ है पार्टी के नेता भले स्मृति के झूठे बयानों से दूरी बना रहे हों, पीएम आज भी उनके साथ खड़े हैं। और पार्टी नेता पीएम के साथ।

टाइम्स ऑफ इंडिया हर लिहाज से बेहतर लग रहा है। टाइम्स ने फ्रंट पेज पर पाकिस्तान और भारत के बीच आज होने वाले वनडे मैच के कवरेज में दोनों पक्षों की मजबूती और कमजोरियों का विश्लेषण किया है। इसके अलावा अखबार में रोहित की मां के बयान को लीड बनाया गया है। इस खबर का कवरेज दूसरे अखबारों से बढ़िया है। मुरथल में गैंगरेप से जुड़ी खबरों का कवरेज भी बेहद सटीक है।

आज मुरथल घटना से जुड़े डेवलपमेंट का कवरेज लगभग सभी अखबारों में बेहतर ढंग से किया गया है। हरियाणा के मुख्यमंत्री का बयान भी है। लेकिन अखबारों ने एक एंगल मिस कर दिया है। मुख्यमंत्री ने बयान दिया है कि हमने जांच कमेटी बना दी है, किसी से नाइंसाफी नहीं होगी। ठीक उसी समय जिले के एसपी और डीएसपी बयान दे रहे हैं कि कोई घटना नहीं हुई, हमने जांच रिपोर्ट सौंप दी है। एसपी ने अपनी रिपोर्ट मुरथल के ढाबे की सीसीटीवी फुटेज और आसपास के गांव के लोगों के बयान के आधार पर तैयार की है। ऐसे लोगों के बयान के आधार पर जिन पर इन घटनाओं में शामिल होने की आशंका है। इतना तो तय है कि इतनी बड़ी घटना में 24 घंटे के भीतर एसपी और डीएसपी ने यह रिपोर्ट बिना सरकार के आदेश के तैयार नहीं की होगी। ऐसे में सीएम खट्टर का बयान आईवाश से ज्यादा कुछ नहीं लगता।

दो दिनों बाद आज The Telegraph देखकर स्मृति ईरानी को जरूर चैन आया होगा। आज इस अखबार ने कोलकाता सरकार को आड़े हाथ लिया है। लेकिन एक भड़काऊ हेडिंग के साथ। वर्द्धमान विश्वविद्यालय में हुड़दंग से जुड़ी इस खबर को भी अखबार ने दिल्ली में चल रही घटनाओं से जोड़ दिया है, जो बहुत सटीक नहीं जान पड़ता। संसद में हंगामा की घटना को आज बहुत सामान्य ढंग से लिया है।

हिंदी अखबारों में आज नवभारत टाइम्स में खबरों की प्रस्तुति दूसरों से बेहतर है। संसद में तकरार और इकॉनामिक सर्वे के अलावा मुरथल से जुड़ी घटनाओं का भी कवरेज बढ़िया है। नवभारत ने इस पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने की राय दी है। दैनिक भास्कर आज बेहद सामान्य लग रहा है। न तो कोई स्पेशल खबर है और न ही स्पेशल कवरेज। दैनिक जागरण में जेएनयू के छह प्रोफेसरों की गिरफ्तारी से जुड़ी एक खबर जरूर है, लेकिन बिना किसी ठोस सोर्स के। (liveindiahindi)

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