सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने एक बयान जारी कर कहा है कि सऊदी अरब के वरिष्ठ धर्मगुरू शहीद आयतुल्लाह शेख़ बाक़िर निम्र और उनके साथ 46 लोगों को सऊदी सरकार द्वारा आतंकवाद के नाम पर मौत की सज़ा देने का फ़ैसला अत्यंत चौंका देने वाला है और साथ ही यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मुसलमानों के बीच मतभेद भड़काने वाली कार्यवाही है।उन्होंने कहा कि एक ओर कुछ लोग इसे शिया-सुन्नी लड़ाई का रूप देने में लगे हुए हैं तो दूसरी ओर सऊदी अरब की सरकार सुन्नी मुसलमानों का अगुवा बनने के लिए बेताब दिख रही है। उन्होंने कहा कि अगर हम इसे धार्मिक पंथ के चश्मे को उतार कर देखें तो सच्चाई कुछ और ही नज़र आएगी। उन्होंने कहा कि वास्तव में शेख़ निम्र के साथ ही सऊदी सरकार ने शेख़ उमर को भी फांसी दी है जो सऊदी अरब के बड़े सुन्नी धर्मगुरू थे। जिनकी मौत की सज़ा के बारे में पश्चिम मीडिया जान-बूझ कर बात नहीं कर रहा है।
ऑल इंडिया मजलिसे इत्तेहादुल मुस्लेमीन के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि शेख़ उमर का दोष यह था कि वे पैग़म्बरे इस्लाम के रोज़े पर सलाम और नअत पढ़ते थे जिसके कारण उन्हें कई बार आले सऊद शासन ने गिरफ़्तार करके जेल भेजा था। उन्होंने कहा कि अंतत: सऊदी शासन ने शेख़ उमर की आतंकवाद के नाम पर गर्दन काट ली। सांसद ओवैसी ने कहा कि अब अगर इसके बाद भी कोई यह कहता है कि यह शिया-सुन्नी लड़ाई है तो वह झूठा ही कहलायेगा।उन्होंने कहा कि वास्तव में ये लड़ाई सऊदी वहाबी विचारधारा से टकराव की है। अब अगर सऊदी शासन के ख़िलाफ़ जो भी आवाज़ उठाएगा उसका पंथ चाहे जो हो उसकी सज़ा सऊदी सरकार ने मौत ही रखी है। ओवैसी ने कहा कि इसलिए हमें सऊदी सरकार के अत्याचारों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठानी चाहिए क्योंकि सऊदी सरकार का सैदव यही प्रयास रहता है कि इस तरह की घटनओं को शिया-सुन्नी का रंग देकर दुनिया के सुन्नी मुसलमानों की अगुवाई करे।