रामपुर – तीन तलाक और यूनिफार्म सिविल कोड पर चाहे मोदी सरकार कुछ भी राय रखती हो लेकिन इस मुद्दे ने भारत के मुसलमानों को एक साथ एक प्लेटफॉर्म पर खड़ा कर दिया है. मुस्लिम समुदाय के सभी फिरकों जिस तरह एक सुर में इस मुद्दे का विरोध कर रहे है उससे देश भर के मुसलमानों को एक साथ खड़े होने की सम्भावना प्रबल होती जा रही है. इस कड़ी में मौलाना महमूद मदनी का नया बयान आया है जिसमे उन्होंने वही बात की है जो कुछ दिन पूर्व दरगाह आला हज़रत से कही गयी थी. जमीयत उलेमा-ए-हिंद के जलसे में शरीयत से छेड़छाड़ के मुद्दा उठाते हुए जमीयत के राष्ट्रीय महासचिव एवं पूर्व राज्यसभा सदस्य मौलाना महमूद असद मदनी ने कहा कि कुरान के कानून में कयामत तक कोई बदलाव नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि मुल्क के मुसलमान हमेशा दहशतगर्दी के खिलाफ रहे हैं।
मुल्क के जो हालत बन रहे हैं मुसलमानों को उससे मायूस होने की जरूरत नहीं है। बल्कि सबसे पहले हम आपसी इख्तिलाफ खत्म करें।
नगर के मोहल्ला काजीपुरा स्थित जमा मस्जिद में जमीयत उलमा-ए-हिंद की जानिब से हुए जलसे में काफी तादाद में लोगों ने शिरकत की। मौलाना सैयद असद मदनी ने कहा की मुल्क के मुसलमानों को सरकार से कोई मदद नहीं बल्कि इंसाफ चाहिए। मुसलमान हमेशा दहशतगर्दी के खिलाफ रहा है। इस्लाम में दहशतगर्दी की कोई जगह नहीं है।
अफसोस इस बात का है कि मुसलमानों को बेवजह दहशतगर्दी से जोड़ने की कोशिश की जा रही है। इससे मुल्क के हालात खराब होंगे। एक दूसरे का भरोसा टूटेगा। मौलाना ने नौजवानों को हिम्मत, हौसला और होश से काम लेने की सीख दी। कहा कि मायूस होने की कोई जरूरत नहीं है। पहले हम आपसी इख्तिलाफ दूर करें।