कन्हैया समेत अन्य छात्र नेताओं तक जांच सीमित
इसे जम्मू-कश्मीर में पिपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के गठबंधन की नयी सरकार की पक रही खिचड़ी का नतीजा माना जा रहा है।
जेएनयू में अफजल गुरु, कश्मीर की आजादी समेत भारत विरोधी नारेबाजी में कुछ गैर-जेएनयू कश्मीरी लड़कों के शामिल होने की बात शुरु में ही सामने आयी थी। लेकिन दिल्ली पुलिस ने अपनी जांच का दायरा छात्र संगठनों के नेताओं तक ही सिमित रखा।
गृहमंत्रालय के उच्चपदस्थ सूत्रों ने बताया कि जेएनयू प्रकरण के दौरान ही जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल एन एन वोहरा ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह से इस खबर के घाटी में पड़ने वाले असर के प्रति आगाह किया था।
सूत्रों के मुताबिक उधर पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने भी भाजपा के केंद्रीय राजनीतिक नेतृत्व से मामले की संवेदनशीलता के संबंध में बातचीत की थी। कश्मीर से केंद्र को बताया गया था कि जेएनयू में कश्मीरी छात्रों पर पुलिस कार्रवाई से घाटी में तनाव भड़क सकता है। शीर्षस्थ सरकारी सूत्रों के मुताबिक केंद्र की ओर से इस मामले को नहीं भड़कने देने का आश्वासन दिया गया है।
‘बाहर के कश्मीरी लड़कों को देखा था’
अब नई दिल्ली के जिलाधिकारी (डीएम) संजय कुमार ने अपनी ताजा रिपोर्ट में भी कश्मीरी लड़कों के शामिल होने की बात की ठोस तरीके से तस्दीक कर दी है। यह वही रिपोर्ट है जिसमें कन्हैया कुमार को क्लीन चिट दी गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जेएनयू प्रशासन और विश्वविद्यालय सुरक्षा ने भीड़ में ऐसे कश्मीरी लड़कों को देखा जो जेएनयू के छात्र नहीं थे। ऐसे लड़कों की रिकार्डिंग जेएनयू सुरक्षकर्मियों की वीडियो में भी आई है।
रिपोर्ट के मुताबिक उन्हीं रिकार्डिंग के आधार पर जेएनयू प्रशासन ने इन कश्मीरी लड़कों की तस्वीर नोटिस बोर्ड पर भी लगाई थी। ताकि उनकी पहचान की जा सके। लेकिन दिल्ली पुलिस ने उसे तवज्जो नहीं दिया।
दिल्ली पुलिस के शीर्षस्थ सूत्रों का दावा है कि पूर्व पुलिस कमीश्नर बी एस बस्सी के कार्यकाल के अंतिम दिनों ने इन कश्मीरी लड़कों की पहचान की जा चुकी थी।
लेकिन उसके बाद इसकी जांच की जिम्मेदारी दिल्ली पुलिस की एंटी टेरोरिज्म विभाग स्पेशल सेल को दे दी गई। स्पेशल सेल के अधिकारी के मुताबिक फिलहाल उनके एजेंडे में इन संदिग्ध कश्मीरी लड़कों की जांच शामिल नहीं है। (अमर उजाला)