मैं आपको अपनी आपबीती बताने जा रहा हू। मुझे 10 फरवरी 2009 को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर y कैटेगरी की सुरक्षा मिली थी। 19 अगस्त 2015 को बिना सुप्रीम कोर्ट सूचित किये मनमाने तरीके से गृह मंत्री ने जिनसे मैं 2002 में काग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ चूका हू और इन्ही के कार्यकाल में हुए 1200 करोड़ के घोटाले में याचिकाकर्ता हूं।
उक्त केस जिसमे केंद्र सरकार हलफनामा फ़ाइल कर, तब तक की गई जाँच के आधार पर 200 करोड़ के घोटाले की बात स्वीकार कर चुकी है।
गृह मंत्री की निजी दुश्मनी के कारण मेरी सुरक्षा हटा ली गई, मैं गृह मंत्री, गृह सचिव, अतिरिक्त सचिव, सयुक्त सचिव(pm) और कमिश्नर पुलिस को मिलकर सुप्रीम कोर्ट का निर्दश दिखाया औरअपना प्राथना-पत्र देकर सरकार से सुप्रीम कोर्ट के निर्देशो का पालन करते हुए कोर्ट के निर्देश पर मिली सुरछा बहाली की मांग कर चुका हु।
इसी कड़ी में मैं बस्सी से मिलने गया तो बातचीत के दौरान बस्सी ने कहा बताओ दिल्ली में सबसे भ्रष्ट व्यक्ति कौन है, मुझे समझ नहीं आया तो बस्सी ने कहा अरविन्द केजरीवाल।
मैंने कहा अच्छा तो बोले तुम बहुतो से लड़ते हो इसका भ्रष्टाचार उजागर करो तुम्हे z कैटेगरी की सुरक्षा दे दूँगा, मैंने कहा आप दस्तावेज़ दो, बिल्कुल करूँगा।
ये घटना मैं आपको इसलिए बताना चाहता था कि रिटायरमेंट करीब आते ही अधिकारी जज किस तरह सत्ताधारी दल के ग़ुलाम हो जाते है।
सुप्रीम कोर्ट में रिटायर मेंट से पहले दिए गए फैसलो में यह पक्षपात साफ़ नज़र आता है, मुख्य न्यायाधीश रहे अल्तमश कबीर द्वारा मुलायम सिंह की आय से अधिक मामले में दिए गए फ़ैसले को ही देखिये जिसमे भ्रष्टाचार विरोधी कानून की धज्जिया उड़ा दी गई।
लखनऊ भूमि घोटाले में रिटायर होने से पहले सुप्रीम कोर्ट के ही दूसरे न्यायाधीश रहे आफ़ताब आलम ने वो कर दिखाया जो शायद कोई कर ही नही सकता था।
सी बी आई की जाँच रिपोर्ट,उत्तर प्रदेश सरकार की जाँच रिपोर्ट, उसी में पांच ट्रांसफर एप्लीकेशन भी दाखिल थी और सुप्रीम कोर्ट में काउण्टर रिजवाएंडर सब दाखिल था और हम कोर्ट से अंतिम सुनवाई की मांग क कर रहे थे कि अचानक दूसरे पक्ष के वकील ने झूठ कहा कि इनका भी उन 28 प्लाटो में एक प्लाट है और पहले से फिक्स आफ़ताब आलम ने मेरी पेटीशन ख़ारिज कर दी।
यदि आप चाहे तो सुप्रीम कोर्ट की साइड पर ऑफिस रिपोर्ट और 2005 से अब हुई कार्यवाही देख सकते है यदि दस्तावेजो की जरूरत हो तो मैं दे दूँगा, वैसे गूगल पर भी बहुत कुछ मिलेगा।
इस लिए देश के सभी लोगो को मिलकर रिटायरमेंट के बाद बटने वाली रेवड़ियां बंद की जानी चाहिए ,अपने जीवन काल ईमानदार व्यक्ति भी रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली सरकारी रेवड़ियों के किसी हद तक जाकर गलत से गलत कम करने को तैयार हो जाता है।
भष्टाचार की जड़ में रिटायरमेंट के बाद सरकारी कृपा पर पाने वाली रेवड़ी पाने के लिए किसी हद तक जाने को तैयार रहता है।
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