अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) ने मंगलवार को दो कश्मीरी छात्रों का निलंबन यह कहते हुए रद्द कर दिया कि विश्वविद्यालय परिसर में किसी ‘‘गैरकानूनी कार्यक्रम’’ में उनके शामिल होने का कोई ‘‘विश्वसनीय सबूत’’ नहीं मिला है।
एएमयू प्रवक्ता सहाफे किदवई ने कहा कि एएमयू शोध छात्रों वसीम अयूब मलिक और अब्दुल हसीब मीर को ‘‘विश्वविद्यालय की तीन सदस्यीय जांच कमेटी द्वारा दोषमुक्त किए जाने के बाद’’ उनका निलंबन निरस्त कर दिया गया है।’ प्रो किदवई ने कहा, ‘‘दोनों छात्रों के खिलाफ कोई विश्वसनीय सबूत नहीं मिले।’’
अलीगढ़ के वीसी प्रो. तारिक मंसूर ने इस संबंध में बयान दिया है कि हमने निलंबन वापसी को कहा है लेकिन पुलिस कार्रवाई से हमारा सम्बंध नहीं है। एफआईआर हमने नहीं पुलिस ने कराई है। मीडियाकर्मियों ने जब यह सवाल किया कि एफआईआर किसने की है तो उन्होंने कहा कि एफआईआर यूनिवर्सिटी में बने चौकी इंचार्ज ने दर्ज की है।
उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी के किसी अधिकारी ने एफआईआर नहीं दर्ज की है। उन्होंने कहा कि अगर कोई दोषी नहीं है तो उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। वीसी ने प्रॉक्टर से भी इस संबंध में बात कर ली है। उन्होंने कहा कि प्रशासन ने उनके खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा नहीं दर्ज कराया है। यह कार्रवाई पुलिस ने की है। दोषी न होने पर चार्ज नहीं लगाया जाएगा।
Suspension of two Kashmiri students of Aligarh Muslim University (AMU) has been revoked. Earlier three Kashmiri students were booked on sedition charges for trying to hold a prayer meeting for terrorist Manan Wani who was killed in an encounter in J&K.
— ANI UP (@ANINewsUP) October 16, 2018
उन्होंने यह भी कहा कि बच्चे चाहे बंगाल के हों, बिहार के हों या यूपी के हों, हमारे लिए हर राज्य, धर्म और जाति का बच्चा एक बराबर है। उन्होंने कहा कि जो हमने इंक्वायरी की है, उसके मुताबिक कार्रवाई होगी।
बता दें कि मंगलवार को छात्रसंघ के पूर्व उपाध्यक्ष सज्जाद राथर के नेतृत्व में कश्मीरी छात्रों ने एकजुट होकर प्रदर्शन किया था और धमकी दी थी कि अगर उनकी मांगे नही मानीं गईं तो सभी कश्मीरी छात्र रात-दिन प्रदर्शन कर गुरुवार सुबह सर सैयद डे कार्यक्रम के दौरान एलुमिनाई छात्रों के सामने अपनी डिग्री सरेंडर कर वापस कश्मीर अपने घर लौट जाएंगे।