लखनऊ : रिहाई मंच ने लखनऊ में शिक्षकों पर पुलिस द्वारा किये गये लाठीचार्ज और उसमें शिक्षक रामाशीष सिंह की मौत के लिए अखिलेश यादव को जिम्मेदार ठहराया है। मंच ने कहा कि पिछली 2 नवंबर को भी हजरतगंज गांधी प्रतिमा पर इंसाफ मांगते रिहाई मंच नेताओं पर इसी तरीके से कातिलाना हमला पुलिस ने किया था। आज जिस तरह पुलिस ने शिक्षक का कत्ल किया और सैकड़ों को गंभीर रूप से घायल किया, उससे ज़ाहिर होता है कि यह हमले सिर्फ पुलिसिया नहीं है बल्कि यह सब सरकार की सरपरस्ती में हो रहे हैं।
रिहाई मंच के लाटूश रोड स्थित कार्यालय पर हुई बैठक में मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने शिक्षक रामाशीष सिंह के कत्ल के लिए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि अखिलेश अपनी धूमिल छवि को बचाने के लिए इंसाफ मांगते लोगों पर कातिलाना हमले करवा रहे हैं। उन्होंने कहा कि रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव और रिहाई मंच लखनऊ इकाई के महासचिव शकील कुरैशी पर भी इसी तरीके से हजरतगंज पुलिस ने कातिलाना हमला किया था। अगर सूबे के प्रशासन ने ऐसी घटनाओं पर कार्रवाई की होती तो आज शिक्षक रामाशीष सिंह का कत्ल करने की हिम्मत इस पुलिस में नहीं होती।
रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि जिस तरीके से सूबे की राजधानी में शिक्षक रामाशीष सिंह को दौड़ाकर-दौड़ाकर पीटा और हत्या की, वह साबित करता है कि सूबे में कानून व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। उन्होंने कहा कि इस सरकार में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पुलिस और नेता कत्ल करते हैं और फिर अखिलेश मुआवजा देते हैं। यह इंसाफ को कुचलने की एक परंपरा सी बन गई है। जिस तरीके से पिछले दिनों बांदा में पांच मुस्लिम युवकों को बर्बर तरीक़े से मारा, इलाहाबाद के एक युवक आरिफ को इतना मारा कि वह कोमा में है- ठीक इसी तरीके से सरकार के मंत्री राममूर्ति वर्मा ने पत्रकार जगेन्द्र को जिन्दा जलवा दिया। बाराबंकी में पत्रकार की मां से थाने में बलात्कार की कोशिश और फिर उन्हंे जिन्दा जला दिया जाना, बहराइच में आरटीआई कार्यकर्ता को पुलिस की मौजूदगी में दौड़ा कर मार दिया जाना- ये सिर्फ घटनाएं नहीं हैं बल्कि अखिलेश सरकार का वह क्रूरतम चेहरा है जिस पर विकास का नकाब लगाकर अखिलेश राजनीति करना चाहते हैं। उत्तर प्रदेश दलित, मुस्लिम और महिलाओं के खिलाफ हिंसा में सर्वोच्च स्थान पर है और सार्वजनिक वितरण प्रणाली जैसी मूलभूत सुविधाएं फेल हैं। पर हमारे मुख्यमंत्री को सूबे के किसानों से छीनी गई जमीन पर हाइवे बनाने में ही गर्व है।
रिहाई मंच नेता जैद अहमद फारूकी ने कहा कि लखनऊ पुलिस को इंसाफ की मांग करने वालों का कत्ल करने के लिए ही‘मित्र पुलिस’ का तमगा दिया गया है। जो नेताओं के लिए तो मित्र है लेकिन अपने पेंशन की मांग करने वाले शिक्षकों और गरीब जनता के लिए शत्रु है। अम्बेडकर कांग्रेस के फरीद खान ने आरोप लगाया कि अखिलेश सरकार में पुलिस सपा कार्यकर्ताओं की तरह काम कर रही है।