उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में एक मानसिक तौर से कमजोर शख्स की मौत के बाद उसके अंतिम संस्कार को लेकर दो समुदाय आमने-सामने हो गए है. दरअसल, हिंदू- मुस्लिम के दो गुटों ने रिजवान उर्फ चमन को अपना बेटा बताकर उसके शव पर अपना- अपना हक जता दिया. जिसके बाद पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा.
स्थानीय डीएसपी एस.के गुप्ता ने बताया, “दास सराय में रहने वाले राम किशन सैनी के परिवार ने दावा किया कि रिजवान उर्फ चमन उनका बेटा था. वह 2009 से लापता था. 2014 में वह उन्हें दास सराय से तकरीबन तीन किलोमीटर दूर मिला था. इसी बीच असालतपुरा में रहने वाले सुभान अली के परिवार ने भी कहा कि वे भी बीते पांच सालों से उस मानसिक तौर पर अस्वस्थ शख्स की देखभाल कर रहे थे. बाद में उन्होंने ही उसका नाम रिजवान रखा था.”
इस सबंध में गाँव वालों ने पंचायत कर फैसला लिया कि दोनों परिवार रिजवान उर्फ चमन का ख्याल रखेंगे. महीने के वह 15-15 दिन दोनों परिवारों के पास बारी-बारी से रहेगा. रिजवान उर्फ चमन के मौत के बाद जब हिंदू परिवार उसके अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहा थे, तभी इसकी खबर सुभान परिवार को मिली. उन्होंने दावा किया कि शख्स को मुस्लिम रीति रिवाज के अनुसार दफ्नाया जाएगा, जिस पर दोनों समुदाय आमने-सामने आ गए. हालांकि पुलिस के हस्तक्षेप के बाद मिलजुल कर अंतिम संस्कार करने का फैसला लिया गया.
इस दौरान चमन उर्फ रिजवान की शव यात्रा का नजारा देखने लायक था. इसके अंतिम यात्रा में अर्थी को कंधा देने वाले लोगों ने एक तरफ टीका लगा रखा था तो वहीं दूसरी तरफ किसी ने टोपी पहन रखी थी. दोनों गुटों ने अपने अपने धर्म के अनुसार अंतिम संसार संपन्न किया. आखिर में उसको मुस्लिम रीती-रिवाज से सुपुद्र-ए-ख़ाक किया गया.