AMU में होने जा रही 21 मार्च को अज़मत-ए-रसूल कॉन्फ्रेंस, क़मरूज़ज़्मा आज़मी करेंगे शिरकत

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अलीगढ़: मुस्लिम स्टूडेंट ऑर्गनाइजेशन की और से अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के सालाना प्रोग्राम अज़मत-ए-रसूल कॉन्फ्रेंस में में इस बार वर्ल्ड इस्लामिक मिशन के जनरल सेक्रेटरी मुफ्फिक्रे इस्लाम अल्लामा क़मरूज़ज़्मा खान आज़मी शिरकत करेंगे. ये प्रोग्राम 21 मार्च को होने जा रहा है.

अल्लामा क़मरूज़ज़्मा आज़मी साहब पूरी दुनियाँ में सूफी इस्लाम को बढ़ाने के लिए मदरसों के अलावा वहां के हालाते हाजरा पर तक़रीर करते है लोगो को सूफी इस्लाम, अहले सुन्नत वल जमात के अक़ाइद के बारे में बताते है. जिससे इंसानियत की सही अल्फ़ाज़ में सेवा हो सके, इसके अलावा देश दुनियाँ में हो रहे पोलिटिकल इश्यूज पर भी अल्लामा आज़मी अपने क्रिटिकल व्यूज रखते है जिसके सिलसिले में उन्होंने कई बार देश दुनियाँ के नेताओ से मुलाकात करके उनकी परेशानियों से दो चार भी कराया. चाहे वो म्यांमार वर्मा का मामला हो या फिर सीरिया, फ़िलिस्तीन का मामला हो कई बार इन बर्निंग इश्यूज को लेकर वो ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरून से भी मुलाकात कर चुके है उसके अलावा उनको सूफी इस्लाम के बारे में अपने व्यूज बता चुके है.

अल्लामा आज़मी का ताल्लुक वैसे तो अल्लामा हाफिज ए मिल्लत और राहुल सांकृत्यायन की सर ज़मीन से है इसलिए वो देश दुनियाँ में हिंदुस्तान की गंगा-जमुनी तहज़ीब के पक्षधर है जिसके माध्यम से ही सूफिज्म के रास्ते को अख्तियार करके पूरी दुनियाँ में इस विचारधारा का प्रचार प्रसार करते है. जिसमे वीमेंस एम्पावरमेंट, जैसे ज्वलंत मुद्दों के को उन्होंने कई बार अपनी तकरीरों में उठाया है बल्कि उन्होंने अपनी तकरीरों, किताबो में दर्शन (फिलॉसफी) का मजमुआ भी मिलता है, कई इस्लामिक विषयो पर उनकी चर्चा सुनने से ही सही मानवता का पता लगता है, जिस प्रकार से आज पूरी दुनियां में मुसलमानों को टारगेट किया जाता है. उन सबका जवाब अल्लामा आज़मी ने कई बार दो लफ़्ज़ों में ही दे दिया.

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उन्होंने कहा अगर हम अहले सुन्नत वल जमात के सही रास्ते पर लौट आएंगे तो आतंकवाद जैसी भयानक समस्या से भी निपटा जा सकता है. जोकि आजकल इस्लाम को ग़लत मज़हब बनाने के लिए लगे हुए है. उनको भी सूफिज्म के रास्ते से जवाब दिया जा सकता है. इन्ही सब मुद्दों पर काम करते हुए अल्लामा आज़मी ने पूरी दुनियां में अहले सुन्नत वल जमात के मदरसे खोले और वहां पर इस्लामिक शिक्षा के साथ-साथ दुनियावी शिक्षा को भी महत्त्व दिया गया है.

अज़मत-ए-रसूल कॉन्फ्रेंस में अल्लामा आज़मी हुज़ूर सल्लाहों एलैहि वस्सलम की अज़मतो के सिलसिले में रोशनी डालेंगे, इसके अलावा प्रोफेसर अमीन मियां क़ादरी बरकाती सज्जादा नशीन ख़ानक़ाह ए बरकातिया मरहेरा प्रोग्राम की सदारत करेंगे, मुख्य अतिथि प्रो वाईस चान्सलर प्रोफ़ेसर तबस्सुम शहाब रहेंगे. आप सभी दोस्तों से दरखास्त है इस प्रोग्राम में आकर एक दानिशमंद की तक़रीर को सुनकर सबाब ए दारैन हासिल करें.

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