सिखों की रिहाई के लिए आंदोलन करने वाले खालसा ऐक्टिविस्ट ने दी अपनी जान

gurbaksh singh khalsa 620x400

इस्माईलाबाद: देश की विभिन्न जेलों में बंद सिखों की रिहाई के लिए आंदोलन चलाने वाले एक्टिविस्ट गुरुबख्श सिंह खालसा (52) ने मंगलवार (20 मार्च) को आत्महत्या कर ली है. उन्होंने ठसका अली वासी गांव में ही स्थित करीब 75 फीट की उंची पानी की टंकी में कूद कर अपनी जान दे दी.

पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या में सजा काट चुके सिख कैदियों की रिहाई के लिए आंदोलनरत गुरबख्श सिंह मंगलवार को दोपहर करीब एक बजे पानी की टंकी पर चढ़कर अमरण अनशन शुरू कर किया था. इस दौरान पुलिस और प्रशासन ने उन्हें टंकी से उतारने की कोशिश की. लेकिन वे सिख बंदियों की रिहाई करने की मांग पर अड़े रहे.

देर शाम तक मांग पूरी नहीं होने पर करीब सात बजे उन्होंने टंकी से छलांग लगा दी. इसमें उनका सिर दीवार से भी टकरा गया और वह गंभीर रूप से घायल हो गए. नीचे गिरते ही वह बेहोश हो गए. पुलिस ने उन्हें तत्काल एलएनजेपी सिविल अस्पताल पहुंचाया. वहां चिकित्सकों ने उन्हें उपचार के दौरान मृत घोषित कर दिया.

Image result for Gurbaksh singh khalsa

पुलिस ने सीआरपीसी के सेक्शन 174 के तहत केस दर्ज कर लिया है. पोस्टमार्टम के बाद शव को परिवार के सुपुर्द कर दिया गया है. खालसा की मौत की जानकारी होते ही उनके समर्थक आक्रोशित हो उठे.इस पर पुलिस ने पूरे इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी है.

बता दें कि बंदी सिखों की रिहाई के लिए गुरबख्श ने 13 नवंबर 2013 को गुरुद्वारा अंब साहिब मोहाली में भूख हड़ताल शुरू की थ. 44 दिन बाद श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार सिंह साहिब ज्ञानी गुरबचन सिंह ने इन सिखों की जल्दी रिहाई का भरोसा देने के बाद भूख हड़ताल खत्म कर दी थी.

करीब एक साल के लंबे इंतजार करने के बाद भी जब सजा भुगत चुके, किसी भी बंदी सिख को रिहा नहीं किया गया, तो दोबारा उन्होंने 13 नवंबर 2014 को गुरुद्वारा साहिब पातशाही 10वीं श्री लखनौर साहिब अंबाला में भूख हड़ताल शुरू की थी. करीब 65 दिन तक लगातार वह भूख हड़ताल पर रहे.

विज्ञापन