बिहार के पटना में केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन तलाक बिल का मुस्लिम महिलाओं ने सड़कों पर उतरकर विरोध किया. साथ ही सरकार से इस बिल को वापस लेने की मांग की.
रविवार को राजधानी पटना की सड़कों पर हजारों मुस्लिम महिलाएं सड़कों पर उतर आई. जिसके चलते सड़के जाम हो गई. मुस्लिम महिलाओं का मौन जूलूस पटना साइंस कॉलेज से सब्जी बाग मोड़ तक निकला. तिरंगे के साथ निकले इस जुलूस में महिलाओं के हाथों में शरियत में हस्तक्षेप नहीं करने, इस बिल को वापस लेने, तलाक विरोधी बिल मंजूर नहीं करने संबंधी तख्तियां थीं.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बिहार महिला इकाई के बैनर तले हुए इस प्रदर्शन में शामिल डॉ. महजबी नाज ने कहा कि विस्तृत बिल को गहराई से पढ़ने और समझने के बाद पता चला कि इसमें अधिकांश बातें मुस्लिम महिलाओं और परिवार को नुकसान पहुंचाने वाली हैं. यह बिल मुस्लिम पर्सनल लॉ में खुला हस्तक्षेप है.
उन्होंने कहा, संविधान की धारा 14 एवं 15 का उल्लंघन है. यह बिल महिला एवं बाल विरोधी है. क्योंकि जब पति तीन साल के लिए जेल में होगा तब पत्नी-बच्चे का गुजारा कैसे होगा? इस बिल के कारण मुस्लिम महिलाएं कोर्ट के चक्कर काटेंगीं और पति सलाखों के पीछे होंगे. उन्होंने सवाल उठाया, जब पति जेल में रहेगा तो उसकी पत्नी अौर बच्चों की परवरिश कौन करेगा? जब पति जेल से निकलेगा तब उसका पत्नी से संबंध ठीक रह पाएगा?
वहीँ इमारत-ए-शरिया के नाजिम मौलाना अनिसुर रहमान कासमी ने कहा कि यह बिल मुस्लिम मर्दों को जेल में डालने व महिलाओं को कोर्ट का चक्कर लगाने के लिए मजबूर करने के लिए है. मुस्लिम महिलाएं इस बिल को एक काला कानून के रूप में देखती हैं. निकाह एक सामाजिक अनुबंध है, लेकिन यह बिल उसे क्रिमनल एक्ट बना देगा जो कि अनैतिक व अनावश्यक है.