उत्तरप्रदेश के कासगंज में गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा को लेकर प्रदेश के नौकर शाह सोशल मीडिया के जरिए अपना नजरिया पेश कर रहे है. बरेली के डीएम के बाद अब सहारनपुर की लेडी अफसर रश्मि वरुण ने इस मामले में अपने विचार प्रकट किये.
कासगंज हिंसा की तुलना सहारनपुर के मामले से करते हुए उन्होंने लिखा, यह थी कासगंज की तिरंगा रैली. यह कोई नई बात नहीं है. अम्बेडकर जयंती पर सहारनपुर के सड़क दूधली में भी ऐसी ही रैली निकाली गई थी. उसमें से अम्बेडकर गायब थे या कहिए कि भगवा रंग में विलीन हो गये थे. कासगंज में भी यह ही हुआ. तिरंगा गायब और भगवा शीर्ष पर.
उन्होंने हिंसा में मारे गए चंदन गुप्ता को लेकर कहा, जो लड़का मारा गया, उसे किसी दूसरे तीसरे समुदाय ने नहीं मारा. उसे केसरी, सफेद और हरे रंग की आड़ लेकर भगवा ने खुद मारा. पोस्ट में आगे लिखा, जो नहीं बताया जा रहा वह यह है कि अब्दुल हमीद की मूर्ति पर तिरंगा फहराने की बजाये रैली में चलने की जबरदस्ती की गई. केसरिया, सफेद, हरे और भगवा रंग पे लाल रंग भारी पड़ गया.
इस दौरान उन्होंने बरेली डीएम का भी समर्थन किया है. इमोजी के साथ डिप्टी डायरेक्टर ने लिखा है कि पाकिस्तान में जाकर नारे लगाकर मरना है क्या इन्हें. बरेली डीएम आर. विक्रम सिंह द्वारा इस मामले में सफाई देने पर उन्होंने कहा, देखिये सही बात का किस तरह अपना स्पष्टीकरण देना पड़ता है…सही इंसान को भी माफी मांगनी पड़ती है.
डिप्टी डायरेक्टर ने ये भी लिखा है कि यही सच है, न पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगे, न तथाकथित तिरंगा यात्रा रोकी गई. ये सब व्हाट्स एप यूनिवर्सिटी का खेल था.