आगरा फोर्ट स्टेशन से पकड़े गए सभी रोहिंग्या मुस्लिमों को लेकर की गई जांच मे साबित हो गया कि ये सभी देश में वैध तरीके से रह रहे है। खुफिया एजेंसियों ने विशेष टीम दिल्ली भेजकर यूनाइटेड नेशन हाई कमीशन फॉर रिफ्यूजी (यूएनएचसीएफआर) से सभी शरणार्थी कार्ड का सत्यापन कराया। जिसके बाद सभी को रिहा कर दिया गया।
जानकारी के अनुसार, पुलिस ने आगरा में 16 रोहिंग्या मुसलमानों को पकड़ा था। इन सभी को पुलिस ने फोर्ट रेलवे स्टेशन से पकड़ा था। पकड़े गए रोहिंग्या मुसलमानों के पास जो पहचान पत्र मिले थे उनमें हर किसी की जन्म तारीख 1 जनवरी ही दर्ज है। इस पर भी यूएनएचसीएफआर में बात की गई।
वहां से बताया कि रोहिंग्या अपने जन्म की तारीख नहीं बता पा रहे थे। केवल जन्म का वर्ष बताया था। इस कारण तारीख एक और महीना जनवरी लिखा गया। बताया कि सभी कार्ड यूएनएचसीएफआर ने ही जारी किए हैं। सीओ एलआईयू हृदेश कठेरिया ने बताया कि जांच टीम सत्यापन कर लौट आई है।
पूछताछ में इन लोगों ने बताया कि वह कोलकाता से यहां आए थे। वे बीते दो साल से यहां रह रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनके अलावा 12 अन्य रोहिंग्या मुसलमानों के परिवार आगरा में रह रहे हैं। ये सभी कूड़ा बीनने का काम करते हैं और अलग-अलग इलाकों की झुग्गी-झोपड़ी में रह रहे हैं।
पकड़े गए मुस्लिमों की जन्मतिथि कुछ इस प्रकार है –
कुल्लू मियां की जन्मतिथि एक जनवरी, 1961 है। उसका शरणार्थी कार्ड 31 मार्च, 2017 को जारी किया गया। यह 30 मार्च, 2019 तक मान्य है। परमिना अख्तर की जन्मतिथि 1 जनवरी, 1994 है। इनका कार्ड 20 मार्च, 2018 को जारी किया गया। यह 19 मार्च, 2020 तक के लिए मान्य है। नसीमा की जन्मतिथि 1 जनवरी, 1971 है। बाबुल की जन्मतिथि 1 जनवरी, 2002 है। महाबू की 1 जनवरी, 1989 है।