10 सितंबर को जम्मू के सीमांत इलाके में स्थित पुलिस स्टेशन में 12 रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थियों अवैध हिरासत में लेते हुए गौहत्या के कथित आरोप में थर्ड डिग्री टॉर्चर दिया. जिनमे 2 महिलाएं भी शामिल है.
16 साल के पीड़ित सैयद नूर ने बताया कि पुलिस ने उसे आठ दिनों तक हिरासत में रखा. इस दौरान उन्हें अदालत में भी पेश नहीं किया गया. पीड़ितों ने बताया कि पुलिस ने हमें फर्श पर लिटाकर हमारे पैर, हाथ और पीठ पर लाठी और बेल्ट से मारा. पुलिस की निर्दयता की पुष्टि पडोस में रह रहे हिन्दू समुदाय के लोगों ने भी की.
दरअसल, रोहिंग्या मुस्लिमों के घरों के पास खाली जमीन पर एक गाय का कंकाल मिला था. जिसके बाद बीजेपी कार्यकर्ताओं ने रोहिंग्याओं पर गौहत्या का आरोप लगाया था. बीजेपी लीगल सेल के सदस्य हुनर गुप्ता ने भी इस बात की पुष्टि की कि बीजेपी के लोगों ने यहां गोवध के विरोध में राजमार्ग जाम किया था.
हालांकि चानी हिम्मत के थानेदार साजिद मीर ने कई लोगों को पूछताछ के लिए थाने बुलाने की पुष्टि की है. लेकिन उनका दावा है कि उनको बाद में वापस जाने को कहा गया था और किसी को हिरासत में नहीं लिया गया था.
रोहिंग्या के पड़ोस में रहने वाली 35 वर्षीय हिंदू महिला ने बताया कि पुलिस रोहिंग्या समुदाय के लोगों को गिरफ्तार कर ले गई थी और उनको भी थाने में बुलाया था, लेकिन उन्होंने जब अपने को हिंदू बताया तो पुलिस ने उनको छोड़ दिया.
हिरासत में लिए गए लोगों ने बताया कि उनको 96 से 264 घंटे की अवधि के बीच पुलिस ने छोड़ा और कभी न्यायालय में पेश नहीं किया.