बूंदी को अयोध्या-2 बनाने की तैयारी, भगवा संगठनों की दरगाह के पास पूजन की जिद

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राजस्थान के बूँदी ज़िले में स्थित बाबा मीरा साहब की पहाड़ी पर दरगाह के करीब कुछ दिनों पहले रखी गई मूर्ति के पूजन को लेकर चल रहा तनाव शांत होने का नाम नहीं ले रहा है. दो दिनों से पुलिस छावनी में तब्‍दील बूंदी में आज भी हालात में कोई ख़ास सुधार नहीं दिखा.

ऐसे में अब प्रशासन ने जिले की इंटरनेट सेवा पर 48 घंटों की पाबंदी और बढ़ा दी है. शहर में कई जगह प्रदर्शनकारी सड़कों पर टायर जलाते रहे, कई जगहों पर पुलिस पर पत्थर भी बरसाए गए. बिगड़े हालातों का असर बूंदी सहित अन्य चार कस्बों में भी देखा जा रहा है.

कोटा रेंज के आईजी का कहना है 50 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया है। इसके अतिरिक्त ऐसे लोगों की पहचान की जा रही है जो आगजनी और पत्थरबाजी में शामिल थे. इन लोगों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी.

ये है मामला:

बून्दी शहर की ऐतिहासिक दरगाह जिसे हज़रत बाबा मीरा साहब (रह.) के नाम से जाना जाता है. ये  दरगाह तारागढ़ के नाम से भी प्रसिद्ध हैं. यह दरगाह बून्दी में तीन पहाड़ियों में से एक पहाड़ी जो सबसे ऊंची औऱ बड़े क्षेत्रफल में फैली हुई है. साथ ही रास्ते में भी एक दरगाह है. जो हज़रत बाबा दूल्हे साहब (रह.) की हैं.

दरगाह के मैन गेट रोड़ पर छोटी ईदगाह स्थित है. जहाँ से दरगाह जाने के लिए 15 फिट का छोड़ा रास्ता भी बना हुआ है. यहाँ पर पुरातात्विक काल से एक छतरी थी जो 1917 में तेज़ अंधी-तूफ़ान के चलते गिर गई और जमीन में धंस गई. जिसको बूंदीवासी और प्रशासन भी भूल गया था.

कथित तौर पर बीते 27 अप्रैल, 2017 को टाइगर हिल की आड़ में  विशव हिन्दू परिषद, शिव सेना औऱ बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने छतरी की जगह पर अवैध तरीके से हनुमान की मूर्ति रख दी. प्रशासन ने दबाव के चलते बाद में यहाँ पर चबूतरे का निर्माण करा दिया.

इसी बीच भगवा संगठनों ने नव वर्ष के मौके पर 1 जनवरी को पूजन कार्यक्रम का ऐलान किया. भगवा संगठनों का दावा है कि पुराने जमाने में मानधाता छतरी में देव प्रतिमाएं स्थापित थीं, पुजारी और आम नागरिक पूजा करते थे. हालांकि प्रशासन ने इस पूजन क इजाजत नहीं दी.

बावजूद इसके 1 जनवरी को पूजन के लिए बड़ी संख्या में भगवा कार्यकर्त्ता शहर के मीरा गेट पर जमा हो गए. जब पुलिस ने उन्हें समझाने की कोशिश की तो पथराव शुरू कर दिया. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने की नाकाम कोशिश की. जब उन पर काबू नहीं पाया जा सका, तो पुलिस को लाठीचार्ज का सहारा लेना पड़ा.

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