जम्मू-कश्मीर में श्रीनगर उप-चुनाव के दौरान कथित तौर पर वोट डाल कर लौट रहे कश्मीरी युवक फारुक अहमद डार को भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा बंधक बनाकर प्रताड़ित करने के आरोप में राज्य मानवाधिकार आयोग ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए मुआवजा देने का आदेश दिया है.
9 अप्रैल, 2017 को घटित इस घटना को लेकर आयोग ने मानवाधिकार का खुला उल्लंघन करार दिया. हालांकि इस मामले को लेकर भारतीय सेना का कहना है कि फारुक अहमद डार पत्थरबाजी कर रहा था. ऐसे में मेजर लीतुल गोगोई बडगाम ने उपचुनाव की ड्यूटी कर रहे कर्मचारियों की हिफाजत के लिए डार को ढाल के रूप में प्रयोग किया था.
मेजर लितुल गोगोई ने सफाई देते हुए कहा था कि जो हालात वहां पर थे उसमें फारुख अहमद डार को जीप के बोनट पर बांधने के सिवाय कोई और बेहतर विकल्प नहीं था. सेना अगर वहां फंसे चुनावकर्मियों को बाहर निकालने के लिए बल प्रयोग करती तो काफी जानें जा सकती थीं.
Here's the video as well. A warning can be heard saying stone pelters will meet this fate. This requires an urgent inquiry & follow up NOW!! pic.twitter.com/qj1rnCVazn
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) April 14, 2017
सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद जमकर हंगामा मचा था. इसको लेकर जम्मू-कश्मीर सरकार ने मेजग गोगोई के साथ मुकदमा दर्ज किया था.