लखनऊ: अयोध्या विवाद में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत के बयान की चौतरफा आलोचना हो रही है. जिसमें उन्होंने कहा कि राम जन्म भूमि पर राम मंदिर ही बनेगा और कुछ नहीं.
भागवत के इस बयान को राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) ने हास्यापद करार दिया. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मसूद अहमद ने कहा है कि ऐसा लगता है कि भारतीय संविधान को भागवत ने कोई साधारण पुस्तक और सर्वोच्च न्यायालय को अपने घर का घरौंदा समझ रखा है.
उन्होंने कहा, कहा, पांच दिसंबर से सर्वोच्च न्यायालय में अयोध्या केस की सुनवाई दिन प्रतिदिन प्रारंभ होने जा रही है, जहां पर दूध का दूध और पानी का पानी सामने आ जाएगा. इस विचारणीय मुकदमें में मोहन भागवत कोई पक्षकार भी नहीं है और न ही कोई गवाह है. यह अवश्य है कि चुनाव के समय भाजपा का मुखौटा बनकर वोटो का ध्रुवीकरण राम मंदिर के बहाने करना चाहते हैं.
उन्होंने कहा कि देश और प्रदेश की जनता विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल तथा अन्य आनशंगिक संगठनों की भावना पहचान चुकी है. इन सभी वर्गो के मुखिया चुनाव के समय आस्था का राग अलापने लगते हैं और चुनाव के बाद इनकी आस्था सो जाती है.
ध्यान रहे कर्नाटक के उडुपी में चल रहे धर्म संसद के दौरान भागवत ने कहा, ”राम जन्म भूमि पर राम मंदिर ही बनेगा और कुछ नहीं बनेगा, उन्हीं पत्थरों से बनेगा, उन्हीं की अगुवाई में बनेगा जो इसका झंडा लेकर पिछले 20-25 वर्षों से चल रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘हम इसका निर्माण करेंगे. ये कोई चुनावी घोषणा नहीं है बल्कि हमारी आस्था का विषय है.’