इलाहाबाद। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सलाफी प्रचारक डा. जाकिर नाइक की याचिका पर फैसला सुरक्षित कर लिया है। याचिका में झाँसी की अदालत द्वारा जारी गैर जमानती वारंट की वैधता को चुनौती दी गयी है। न्यायालय ने वारंट आदेश पर रोक लगा रखी है।
न्यायमूर्ति अमर सिंह चैहान ने याचिका की सुनवाई की। याची की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल स्वरूप चतुर्वेदी एवं इमरान उल्ला खान और शिकायतकर्ता के अधिवक्ता राजेश्वर प्रसाद सिन्हा ने बहस की। नाइक के खिलाफ देश विरोधी शिक्षा देने तथा आतंकी गतिविधियों को प्रोत्साहित करने का आरोप है।
बता दें कि न्यायालय ने 22 मार्च को अपने आदेश में देशद्रोह के मामले में यूपी के झांसी जिले में दर्ज मुकदमे में जिला कोर्ट से जारी गैर जमानती वारंट पर लगी रोक हटा ली थी।
डॉ जाकिर नाईक पर लोगों की धार्मिक भावनायें भड़काने और देश द्रोह पर उकसाने का आरोप है। 121 के तहत दर्ज केस पर स्थानीय अदालत से गैर जमानती वारंट जारी होने पर वर्ष 2010 में डॉ जाकिर नाईक ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से अपनी गिरफ्तारी पर स्थगन आदेश ले लिया था।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 22 मार्च 2018 को गिरफ्तारी पर लगी रोक हटाते हुए उन पर सामान्य प्रक्रिया में केस चलाने का आदेश दिया था। इसके साथ ही 28 मार्च को मामले की सुनवाई की अन्तिम तिथि भी नियत कर दी थी। जस्टिस अमर सिंह चौहान की एकलपीठ ने याचिकाकर्ता मुदस्सिर उल्ला खान की याचिका पर स्थगन आदेश वापस लेने का आदेश दिया था।