महाराष्ट्र सरकार ने चार लाख अल्पसंख्यक बच्चों की छात्रवृति रोकी, हाईकोर्ट ने लगाई लताड़

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बॉम्बे हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार और महाराष्ट्र सरकार से चार लाख अल्पसंख्यक बच्चों की छात्रवृति रोके जाने की वजह पूछी हैं.

लातूर के पार्षद राहुल माकनिकर और सामाजिक कार्यकर्ता रज़ाउल्लाह खान की और से  बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद पीठ में इस मामले को लेकर जनहित याचिका दाखिल की गई थी. जिस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस आरएम बोर्डे और जस्टिस संगीताराव पाटिल ने राज्य के अल्पसंख्यक विकास विभाग और शिक्षा एवं खेल विभाग समेत सभी पक्षों को नोटिस जारी कर इस मामलें में चार हफ्तेे के अंदर जवाब देने को कहा हैं.

दरअसल RTI के जरिये जानकारी हासिल हुई थी कि महाराष्ट्र में साल 2015-16 में अल्पसंख्यक समुदाय के केवल 3,30,776 बच्चों ने छात्रवृति के लिए आवेदन किया था लेकिन पिछले साल की संख्या के अनुसार करीब 7,17,896 बच्चों का छात्रवृति पहले ही जारी रहनी थी.

खान ने याचिका में आरोप लगाया कि छात्रवृति नहीं मिलने के कारण इस बार 53 प्रतिशत छात्रों ने अपनी छात्रवृति के नवीनीकरण के लिए आवेदन नहीं किया हैं. साथ ही छात्रवृति पाने वाले बच्चों की संख्या आवेदन प्रक्रिया की विफलता के कारण भी कम हुई है. पहले छात्रों को छात्रवृति के लिए ऑनलाइन करना होता था.

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