मद्रास हाईकोर्ट ने CAA विरोधी प्रदर्शनकारी के खिलाफ दर्ज FIR रद्द की

मद्रास उच्च न्यायालय ने नागरिक संशोधन अधिनियम, 2019 (CAA) विरोधी प्रदर्शनकारी को बड़ी राहत देते हुए उनके खिलाफ दर्ज एफ़आईआर को रद्द कर दिया है।

LIVE LAW के अनुसार, शम्सुल हुदा बकवी पर भारतीय दंड संहिता की धारा 143 और 188 के तहत सार्वजनिक सड़क पर बिना अनुमति के विरोध करने का आरोप था। इस पर उन्होने केरल हाईकोर्ट का रुख किया। उन्होने अपनी याचिका में कहा, दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 195 (1) (ए) के अनुसार, कोई भी अदालत आईपीसी की धारा 188 के तहत अपराध का संज्ञान नहीं ले सकती, जब तक कि लोक सेवक के पास प्राधिकरण से लिखित आदेश न हो।

न्यायमूर्ति जी के इलानथिरियन ने फाइलों का अवलोकन करते हुए उल्लेख किया कि आईपीसी की धारा 143 और 188 के तहत अपराध के लिए पुलिस द्वारा पहली सूचना रिपोर्ट दर्ज की गई है। अदालत ने यह भी कहा कि जीवनानंदम और अन्य बनाम राज्य में यह माना गया कि एक पुलिस अधिकारी आईपीसी की धारा 172 से 188 के तहत आने वाले किसी भी अपराध के लिए प्राथमिकी दर्ज नहीं कर सकता है।

बेंच ने अपने आदेश में कहा कि “वह आईपीसी की धारा 188 के तहत अपराधों के लिए एफआईआर दर्ज करने के लिए एक सक्षम व्यक्ति नहीं है। इस तरह, पहली सूचना रिपोर्ट या अंतिम रिपोर्ट आईपीसी की धारा 188 के तहत अपराधों के लिए रद्द करने के लिए अधीन है।

आगे, शिकायत यह भी बताती है कि याचिकाकर्ता और अन्य लोगों द्वारा किया गया विरोध एक गैरकानूनी विरोध है और आईपीसी की धारा 143 की आवश्यकताओं को पूरा नहीं करता है। इसलिए, अंतिम रिपोर्ट को बरकरार नहीं रखा जा सकता है और इसे खारिज किया जाता है। “

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