अगर मुस्कुराते हुए कुछ कहा जाता है तो वह हेट स्पीच नहीं – दिल्ली हाई कोर्ट

पूर्वोत्तर दिल्ली दंगों (Northeast Delhi Riots) से जुड़े कथित भड़काऊ भाषणों (Hate speech) से जुड़े एक मामले में, दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि चुनाव के समय दिया गया भाषण सामान्य समय के दौरान दिए गए भाषण से अलग होता है और कभी-कभी बिना किसी इरादे के सिर्फ ‘महौल’ बनाने के लिए ऐसी बातें कही जाती हैं।

The Indian Express के मुताबिक, जस्टिस चंद्रधारी सिंह ने कहा कि अगर मुस्कुराते हुए कुछ कहा जाता है, तो कोई अपराध नहीं है, लेकिन अगर गुस्से के साथ कुछ आपत्तिजनक कहा जाता है, तो वो अपराध हो सकता है।

कोर्ट ने कहा, “क्या वे चुनावी भाषण थे? क्या वह आम भाषण थे या चुनावी भाषण थे? चुनाव के समय अगर कोई भाषण दिया जाता है, तो वह अलग बात है। अगर आप आम भाषण में कुछ ऐसे बोल रहे हैं, तो यह कुछ उकसावे वाला हो सकता है। चुनावी भाषण में राजनेताओं की तरफ से इतनी सारी बातें कही जाती हैं… यह भी गलत है, लेकिन मुझे अधिनियम की आपराधिकता देखनी है।”

इसमें कहा गया है कि ऐसे तो चुनावों के दौरान सभी राजनेताओं के खिलाफ हजारों FIR दर्ज की जा सकती हैं, “अगर आप मुस्कान के साथ कुछ कह रहे हैं, तो कोई अपराध नहीं है, अगर आप आक्रामक होकर कुछ कह रहे हैं, तो आपराधिकता। आपको चेक और बैलेंस करना होगा। नहीं तो, मुझे लगता है कि चुनाव के दौरान सभी राजनेताओं के खिलाफ 1,000 FIR दर्ज की जा सकती हैं।”

बेंच ने कहा, “क्योंकि हम भी लोकतांत्रिक देश में हैं…आपको भी बोलने का अधिकार है। वह भाषण कब और किस समय दिया गया था और उसका इरादा क्या था? केवल चुनाव जीतने का इरादा या जनता को अपराध करने के लिए उकसाने का इरादा। दोनों दो अलग-अलग चीजें हैं। यह देख कर ही हमें आपराधिक कानून लागू करना होगा।”

विज्ञापन