मध्य प्रदेश के मंडला की कलेक्टर सूफिया फारुक़ी की और से शंकराचार्य की चरण-पादुकाओं को अपने सिर पर रख एक नए विवाद को जन्म दे दिया है.
मंगलवार (2 जनवरी) को शंकराचर्य की प्रतिमा के लिए धातु संग्रह की यात्रा जब मंडला में पहुंचीं तो 2009 बैच की इस आईएएस अफसर ने हिन्दू रीति-रिवाजों से इस एकात्म यात्रा का स्वागत किया. साथ ही शंकराचार्य की चरणपादुका को सिर पर रख कर यात्रा में चलीं और चरण पादुकाओं का पूजन भी किया. इस दौरान उन्होंने साड़ी भी पहनी.
इस बारे में फारुक़ी ने कहा, कार्यक्रम निजी नहीं बल्कि एक सरकारी आयोजन था इसलिए मैंने चरण पादुकाएं उठाई थीं. मैं शंकराचार्य के दर्शन को काफी गहराई से जानती हूं. वे निरंकार शिव की बात करते हैं. यही सर्वधर्म समभाव है. उन्होंने कहा, यह एक सामान्य प्रक्रिया थी. एक कलेक्टर होने के नाते सामाजिक समरसता के लिए कोशिश करना हमारा कर्तव्य है. मैं हिंदू ही नहीं सिख, मुस्लिम और ईसाई समुदाय के कार्यक्रमों में भी शामिल होती हूं. छुआछूत खत्म करने के लिए मैंने सामाजिक समरसता कार्यक्रम में भी भोजन किया है.
आप को बता दें कि मध्य प्रदेश सरकार राज्य के ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य की विशाल प्रतिमा स्थापित करने जा रही है. राज्य सरकार ने इसके लिए प्रदेश के गांव-गांव से लोहा, समेत दूसरे धातु को संग्रहित करने का फैसला किया है. सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इसके लिए 19 दिसंबर को एकात्म यात्रा की शुरुआत की थी.
जिला कलेक्टर के इस आचरण पर सवाल उठाते हुए प्रतिपक्ष नेता अजय सिंह ने कहा कि चरण पादुकाएं उठाया जाना सिविल सेवा आचरण संहिता का उल्लंघन है. लोक सेवकों को इस तरह की राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने से बचना चाहिए.