कथित गौरक्षा के नाम पर मुस्लिम और दलित समुदाय पर गौरक्षकों के हमले के बाद गौरक्षकों द्वारा कानून को अपने हाथों में लेने पर पहले ही सवाल उठ रहे थे.
ऐसे में अब गुजरात हाई कोर्ट ने भी गौरक्षकों की भूमिका पर कड़ा रुख अपनाते हुए गुजरात सरकार से पूछा कि गौरक्षकों को गोमांस पकड़ने का अधिकार किसने दिया? साथ में कोर्ट ने यह सवाल भी उठाया कि आखिर गौरक्षक शिकायत में पुलिस की तरह के शब्दों का प्रयोग कैसे कर सकते हैं?
दरअसल दो महीने पहले गौरक्षकों ने 150 किलो गोमांस से लदी हुई एक रिक्शा को पकड़ा था, जिसकी शिकायत कालुपुर पुलिस थाने में शिकायत दर्ज की गयी थी. पुलिस ने इस मामले में पांच आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर चार को गिरफ्तार भी किया था.
लेकिन पांचवें आरोपी गोसमोहम्मद गुलाम कुरेशी ने गिरफ्तारी से बचने के लिए हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी. जिस की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस परेश उपाध्याय ने कड़ा रुख अपनाते हुए पूछा, ‘गौरक्षक शिकायत में ट्रैप, वॉच जैसे शब्दों का इस्तमाल कैसे कर सकते हैं. गौरक्षकों को गोमांस पकड़ने का अधिकार किसने दिया, पहले ये स्पष्ट करें?’