गुजरात: नोट बंदी से आदिवासियों को भूखे मरने की आई नौबत, सुध लेने वाला कोई नहीं

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अचानक लिए गए नोटबंदी के फैसले से देश की जनता को नगदी की समस्या के कारण कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हैं. लोगों को दिन भर बैंकों की लाइनों में खड़े होने के बावजूद कैश नहीं मिल रहा हैं. कैश के अभाव में लोग अपनी आम जरुरत भी पूरी नहीं कर पा रहे हैं.

गुजरात के छोटा उदयपुर जिले के आदिवासियों का नोटबंदी के कारण बुरा हाल हैं. कैश की किल्लत की वजह से वे रोजमर्रा की खान-पान की सामग्री भी खरीद नहीं पा रहे हैं. जिले के ज्यादातर आदिवासी दुग्ध उत्पादक और किसान हैं. इन आदिवासियों को उनकी ग्राम स्तरीय सहकारी दुग्ध संस्था से नकदी मिलना बंद हो गई है.

आदिवासियों को नागदी मिलने की ये एकमात्र जगह थी. बड़ौदा डेयरी दुग्ध उत्पादक सहकारी सोसायटी के मुताबिक वो इस मामले को केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक के सामने उठा चुके हैं ताकि आदिवासियों को तत्काल उनका भुगतान किया जा सके.

बड़ौदा दुग्ध डेयरी हर रोज छोट उदयपुर जिले में 450 ग्राम स्तरीय दुग्ध उत्पादक सहकारी सोसायटियों से ढाई लाख लीटर दूध का संग्रहण करती है. इसमें कुल 45,000 आदिवासी दुग्ध उत्पादक एवं किसान सदस्य हैं.

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