महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार ने कोरेगांव भीमा हिंसा मामले में मुख्य संदिग्ध संभाजी भिड़े और उनके साथियों सहित सैकड़ों राजनेताओं पर दर्ज दंगे जैसे कई गंभीर अपराधों को वापस ले लिए है। इन सभी के खिलाफ कम से कम दंगे के 6 मामलों को वापस ले लिया है। यह खुलासा एक RTI में हुआ है।
आरटीआई कार्यकर्ता और अधिकार फाउंडेशन के अध्यक्ष शकील अहमद शेख ने गृह विभाग से इस बाबत जानकारी मांगी थी। शेख ने इसके लिए भी आरटीआई दाखिल की थी कि 2008 से कुल कितने राजनेताओं या कार्यकर्ताओं के खिलाफ केस वापस लिए गए हैं। इस बारे में गृह विभाग की सूचना व कक्ष अधिकारी प्रज्ञा घाटे ने शेख को जानकारी उपलब्ध कराई है।
Filed RTI to seek information on how many cases against political leaders&their supporters were withdrawn since 2008. 3 cases against Bhima Koregaon violence accused Sambhaji Bhide were withdrawn & 9 cases against BJP & Shiv Sena leaders withdrawn: RTI activist Shakeel A Shaikh pic.twitter.com/Fb0zLeYqud
— ANI (@ANI) October 1, 2018
जानकारी के मुताबिक, जून 2017 में संभाजी भिडे और उनके साथियों के खिलाफ दर्ज 3 केस वापस लिए गए हैं। इसके अलावा भिडे और उनके साथियों के खिलाफ 3 और केस वापस लिए गए हैं। बता दें कि फौजदारी प्रक्रिया दंड संहिता की धारा 321 प्रावधानों के तहत राज्य सरकार को अधिकार है कि मामूली किस्म के अपराध में केस वापस ले सकती है।
एनडीटीवी से बात करते हुए शकील अहमद शेख ने कहा, ‘महाराष्ट्र सरकार पिछले एक सालों में 41 केस वापस ले चुकी है। जिसमें 14 मामले एमएलए, बीजेपी व शिवसेना नेता व पार्टी कार्यकर्ताओं के हैं।’ हालांकि 2008 से 2014 तक कांग्रेस और एनसीपी की सरकार ने कोई भी केस वापस नहीं लिया।
कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने संभाजी भिडे को क्लीन चिट दी। सरकार ने जितने भी 41 केसों को वापस लिया, सभी केस दंगे फैलाने, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, सरकारी काम में बाधा डालने और सरकारी कर्मचारी पर हमला करने जैसे संगीन धाराओं में दर्ज थे।