भोपाल: मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार पर व्यापम से भी बड़े एक और घोटाले का आरोप लगा है। विपक्ष ने बीजेपी सरकार के खिलाफ ई-टेंडरिंग घोटाले को लेकर मोर्चा खोल दिया है। इसकी जांच आर्थिक अपराध शाखा कर रही है। लेकिन कोई खास जानकारी फिलहाल सामने नही आई है।
5 साल में हुए कम-से-कम 10,000 करोड़ के ई टेंडर पुलिस की Economic Offence Wing (EOW) की प्रारंभिक जांच के दायरे में हैं। हालांकि महीनों से हो रही इस जांच के बाद एक भी एफआईआऱ दर्ज नहीं हो पाई है। ऐसे में ईओडब्लू को केंद्र सरकार के इंडियन कम्प्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम के भोपाल आने का इंतज़ार है।
आसान शब्दों में बताया जाये तो कहने को तो टेंडर कि यह प्रक्रिया ऑनलाइन थी लेकिन इसमें बोली लगाने वाली कंपनियों को पहले ही सबसे कम बोली का पता चल जाता था। ई-टेंडर प्रक्रिया में 3000 करोड़ के घोटाले की बात सामने आ रही है, लेकिन चूंकि यह प्रक्रिया 2014 से ही लागू है जिसके तहत तकरीबन तीन लाख करोड़ रुपये के टेंडर दिए जा चुके हैं।
23 जून को राजगढ़ के बांध से हज़ार गांवों में पेयजल सप्लाई करने की योजना का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया, लेकिन उससे पहले यह बात पकड़ में आई कि ई-प्रोक्योरमेंट पोर्टल में छेड़छाड़ करके लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी यानी पीएचई विभाग के 3000 करोड़ रुपये के तीन टेंडरों के रेट बदले गए हैं।
मामला सामने आते ही, मध्यप्रदेश स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के उस वक्त के एमडी मनीष रस्तोगी ने पीएचई के प्रमुख सचिव प्रमोद अग्रवाल को खत लिखा और तीनों टेंडर कैंसिल कर दिए गए। मध्य प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने ई टेंडर घोटाले का ब्यौरा देते हुए इस साल 2 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर पूरे मामले की सीबीआई या सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में उच्चस्तरीय जांच कराने की माँग की थी।