लखनऊ. कासगंज हिंसा और फर्जी एनकाउंटर को लेकर विधानसभा सत्र के तीसरे दिन भी विपक्ष ने जमकर हंगामा किया. विधानसभा और विधान परिषद में हंगामे के बाद कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्थागित कर दी गई है. विधानसभा में सपा, बसपा और कांग्रेस ने घटना की जांच हाईकोर्ट के सिटिंग जज से कराने की मांग की.
संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआइटी) से जांच कराने की घोषणा की लेकिन, विपक्ष संतुष्ट नहीं हुआ. बसपा विधायक दल के नेता लालजी वर्मा ने कासगंज हिंसा मामले की जांच हाईकोर्ट के जज से कराने की मांग की है. उन्होंने कहा कि कासगंज मामले पर सरकार की मानसिकता दूषित है. पूरे प्रदेश में दंगा कराने की नियत से 26 जनवरी को घटना हुई है.
सपा एमएलसी अहमद हसन ने कासगंज की घटना सरकार की नाकामी का उदाहरण है. सरकार निष्पक्ष नहीं है. कासगंज में आज भी स्थिति अच्छी नहीं है. सरकार गुनाहगार लोगों को संरक्षण दे रही है इसकी जांच कोर्ट द्वारा होनी चाहिए. सरकार उत्तरप्रदेश में आपसी भाईचारे को खराब कर रही है. वहीँ कांग्रेस नेता अजय लल्लू ने कहा, कांग्रेस पार्टी मांग करती है कि कासगंज मामले की जांच हाईकोर्ट से की जाए. सरकार बात नहीं सुन रही इसलिए कांग्रेस सदन का बहिष्कार करती है.
वहीँ नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी ने कहा, कासगंज का मामला बहुत गंभीर है. 26 जनवरी को मुसलमान लोग झंडा फैराने का काम कर रहे थे. हिन्दू संगठन ने वहां हिंदुस्तान में रहना होगा तो जय श्रीराम कहना होगा का नारा लगाया जिस पर विवाद शुरू हुआ. सरकार आज तक वहां का कोई सही खुलासा नहीं कर पाई है. और सरकार कुछ करना भी नहीं चाहती है. इसलिए हम सदन का बहिष्कार करते हैं. कासगंज मामले की जांच हाईकोर्ट के सिटिंग जज से करानी चाहिए.
संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने सदन को भरोसा दिलाया कि एसआईटी इस मामले की निष्पक्ष जांच करेगी और रिपोर्ट आने पर कड़ी कार्रवाई करेगी.किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा. हम पूरी निष्पक्षता से जांच करेंगे पुलिस पूरी मुस्तैदी से काम करेगी और सबको न्याय मिलेगा.