नागरिकता संसोधन कानून (CAA) को लेकर कुछ दिनों पहले राजस्थान विधानसभा में प्रस्ताव पास किया गया था। अब इस कानून को राज्य में लागू करने की बात की जा रही है। ये बात विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी की और कही जा रही है।
जोशी ने कहा है कि केंद्र के बनाए नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को राज्य सरकार को लागू करना पड़ेगा। राज्य सरकारें समवर्ती सूची के विषयों पर ही कानून बना सकती हैं। जैसे मोटरव्हीकल एक्ट के तहत केंद्र ने कानून बनाया। स्टेट के रीजन इसे लागू नहीं करेंगे। पर कानून की व्यवस्था यह है कि कॉन्करेंट सब्जेक्ट में सेंट्रल गर्वमेंट ने कोई कानून बना दिया तो कोई भी राज्य उसके विरोध में कोई कानून नहीं बना सकता।
उनके इस बयान का राजस्थान बीजेपी के अध्यक्ष सतीश पुनिया ने स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि मैं सीपी जोशी के द्वारा सीएए के समर्थन का स्वागत करता हूं साथ ही स्वागत करता हूं। उनसे पहले शशि थरूर, जयराम रमेश, सलमान खुर्शीद और कपिल सिब्बल जैसे कांग्रेसी नेताओं ने भी इसका स्वागत किया है। उन्होंने भी कहा है कि सीएए को लागू करना ही होगा।
Satish Poonia, Rajasthan BJP President: I welcome and congratulate CP Joshi ji that he has supported it. Before him, many Congress leaders like Shashi Tharoor, Jai Ram Ramesh, Salman Khurshid&Kapil Sibal have also said that Citizenship Amendment Act will have to be implemented. https://t.co/nwwCnDEMGh pic.twitter.com/hP63Y7o6BA
— ANI (@ANI) February 9, 2020
कुछ ही दिन पहले कांग्रेस के नेता और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा था, “जब सीएए संसद से पारित हो चुका है तो कोई भी राज्य यह नहीं कह सकता कि मैं उसे लागू नहीं करूंगा। यह संभव नहीं है और असंवैधानिक है। आप उसका विरोध कर सकते हैं, विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर सकते हैं और केंद्र सरकार से (कानून) वापस लेने की मांग कर सकते हैं, लेकिन संवैधानिक रूप से यह कहना कि मैं इसे लागू नहीं करूंगा, अधिक समस्याएं पैदा कर सकता है।”
बता दें, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एलान करते आ रहे हैं कि राजस्थान में सीएए और एनआरसी लागू नहीं करेंगे। जयपुर में गत 21 दिसंबर को सीएए के खिलाफ कांग्रेस और अन्य दलों तथा विभिन्न समुदायों के शांति मार्च के बाद सीएम गहलोत ने एेलान किया था कि राज्य में सीएए और एनआरसी को लागू नहीं करेंगे। देशभर में जिस तरह से विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं और खुद एनडीए के साथी दलों की सरकारें इसे लागू नहीं कर रही हैं, ऐेसे में केंद्र को जनभावनाओं को समझते हुए इस कानून को वापस लेना चाहिए और एनआरसी लागू नहीं करने की घोषणा करनी चाहिए।