केरल के प्रसिद्ध आट्टुकल मंदिर में हर साल फरवरी से मार्च के महीने के बीच में पोंगल महोत्सव मनाया जाता है. इस महोत्सव के दौरान अमानवीय परंपराओं के खिलाफ केरल की पहली वुमन डायरेक्टर जरनल ऑफ पुलिस (DGP) आर श्रीलेखा ने अपनी आवाज बुलंद की है.
उन्होंने बताया कि इस महोत्सव के दौरान 5 से 12 साल के हजारों बच्चों के साथ अमानवीय सलूक किया जाता है. श्रद्धा के नाम पर बच्चों को रोजाना ठंडे पानी में तीन बार नहलाया जाता है, खाने को पेट भर भोजन नहीं दिया जाता, बच्चों को केवल चटाई पर सुलाया जाता है. यहाँ तक कि उन्हें पहनने के लिए सिर्फ एक पतला कपड़ा दिया जाता है.
श्रीलेखा ने बताया, इतना ही नहीं आखिरी दिन बच्चों को पीले कपड़े, माला और गहने पहनाए जाते हैं. इसके साथ उनके होंठों पर लिपस्टिक लगाई जाती है. ये सबकुछ करने के बाद उन्हें एक साथ लाइन में खड़ा किया जाता है और फिर उनकी त्वचा में लोहे का हुक भी लटकाया जाता है. इसे लगाते वक्त बच्चों का खून बहता है और असहनीय दर्द होता है. इस दर्द को कम करने या घाव भरने के लिए लोहे के हुक को निकालने के बाद सिर्फ राख लगा दी जाती है. और, यह सब सिर्फ मंदिर की देवी के लिए होता है.
आर श्रीलेखा ने अपने ब्लॉग में कहा कि यह सब इंडियन पैनल कोड (IPC) के तहत ऐसे जुर्म दंडनीय है, लेकिन कोई भी इसकी शिकायत दर्ज नहीं कराता है.