जम्मू-कश्मीर से 370 हटने के बाद अब उर्दू के स्थान पर हिंदी को प्रदेश की आधिकारिक भाषा बनाने की तैयारी की जा रही है। इस सबंध में भाजपा ने जम्मू-कश्मीर में दाखिल उस याचिका का समर्थन किया है। जिसमे ये मांग की गई है।
जानकारी के अनुसार, जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता मगव कोहली की याचिका पर यूटी प्रशासन को नोटिस जारी किया है, जिसमें हिंदी को आधिकारिक भाषा घोषित करने की मांग की गई है।
कोहली ने दायर याचिका में कहा कि सभी सरकारी दस्वावेज उर्दू में होने के चलते स्थानीय आबादी को मुश्किलों को सामना करना पड़ता है। उर्दू ना तो मातृभाषा है और ना ही यूटी में आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली भाषा है।
अपनी याचिका में कोहली ने तर्क दिया कि जम्मू-कश्मीर पुरर्गठन अधिनियम, 2019 को लागू करने के बाद भी यूटी प्रशासन, राजस्व, पुलिस, अनीस्थ न्यायपालिका से संबंधित सभी दस्तावेजों को उर्दू में रिकॉर्ड करना जारी है।
चीफ जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस संजय धर की पीठ ने यूटी प्रशासन ने पूछा कि वह कारण बताएं कि याचिका क्यों स्वीकार ना किया जाए। इस मामले की सुनवाई के लिए 7 अक्टूबर, 2020 के दिन को सूचीबद्ध किया गया है।
इस मामले की सुनवाई के लिए 7 अक्टूबर, 2020 के दिन को सूचीबद्ध किया गया है। कठुआ जिले के भाजपा उपाध्यक्ष और प्रभारी युधवीर सेठी ने एक न्यूज चैनल से कहा कि जम्मू-कश्मीर से 370 हटने के बाद अगर हिंदी सरकारी भाषा बनती है तो जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए ये ‘सबसे बड़ा गिफ्ट’ होगा।