राजसमंद: कथित गौरक्षा के नाम दादरी से शुरू हुआ जान लेने का सिलसिला गुजरात के उना होते हुए राजस्थान पहुँच चूका हैं. कथित गौरक्षा के नाम पर इस आतंक में कई बेगुनाह लोगों की जान ली गई और उन्हें हिंसा का शिकार बनाया गया. उना काण्ड के बाद दलितों ने कथित गौरक्षकों के खिलाफ आंदोलन कर देश का ध्यान भगवा आतंक का दूसरा नाम बन चुकी इस कथित गौरक्षा की और दिलाया.
ऐसे ही हालात अब भारतीय जनता पार्टी की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के शासन में राजस्थान में पैदा हो गये. कथित गौरक्षा के नाम पर अब बंजारा समुदाय के लोगो को निशाना बनाया जा रहा हैं. जिसके चलते बंजारा समुदाय ने गौक्षकों के खिलाफ बंजारा विकास संगठन बना कर मौर्चा खोल दिया हैं.
दरअसल 3 अक्टूबर को राजसमन्द जिला प्रशासन द्वारा आयोजित कुंवारिया पशु मेले से रात्रि को लगभग 1 बजे 6 बैल बंजारा समुदाय के लोग खरीदकर अपने गाँव ला रहे थे जब यह गाडी गरासिया बंजारों का खेडा (भामखेडा) ग्राम पंचायत पीपली डोडियान पंचायत समिति रेलमगरा जिला राजसमन्द में पहुंची तो बजरंग दल और शिवसेना के गौरक्षा के नाम पर गुंडागर्दी करने वालों ने बैलों से भरी हुई गाडो को रोका और बंजारा समुदाय के लोगों से 5 हजार रुपये की मांग की.
जब इन लोगों ने पैसा देने से इंकार कर दिया कि ‘पैसे किस बात के’ तब इन फर्जी गौ रक्षकों ने सबसे पहले तो जिस गाडी में ये बैल लाये गए थे उसके सभी कांच तोड़ दिए और आगे की हेड लाइट फोड़ दी. उसके बाद में इन लोगों ने बैल खरीदकर लाये सभी बंजारों को पीटना शुरू किया जिनमें गोरु बंजारा, रायसिंह को इतना पीटा कि उसका तो हाथ ही टूट गया जिसकी हड्डी टूटी है और जगदीश को उन्होंने एक धारदार हथियार जिसे कुंथ कहते से मारा उसके भी चोटें आईं हैं.
ये गुंडे इतने पर ही नहीं रुके गोरु बंजारा को गर्दन पर कुंथ रखकर कहा कि कुछ भी बोला तो गर्दन काट डालेंगे और मोटर साइकिल पर पटककर ले गए जिसे रास्ते में आये गाँव भामाखेडा के लोगों ने छुड़वाया. ये सभी लूटपाट व मारपीट बजरंग दल के इकाई अध्यक्ष फुकिया निवासी जगदीश एवं रतनलाल अहीर व 15 अन्य गुंडों ने की. इसकी शिकायत पुलिस में भी की गई लेकिन कोई ख़ास कारवाई नहीं हुई.
बजांरा समुदाय के लोग पशुओं को बेचने का काम करते है. लेकिन गौरक्षा के नाम पर भगवा संगठनों के कार्यकर्ता और पुलिस के साथ मिलकर जबरन वसूली करते हैं. साथ ही पशु तस्करी का झुठा केस लगाकर उनको परेशान किया जाता है. ऐसे में बंजारों ने आन्दोलन कर एैलान किया कि तुम तुम्हारी गाय का पूछ रखों और हमारी जमीन वापस करों, वैसे ही बंजारों को भी राज्य सरकार से यही मांग करते हैं.