उड़ीसा के कालाहांडी ज़िले के भवानीपटना में एंबुलेंस न मिलने के कारण अपनी पत्नी के शव को कंधे पर रखकर 12 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा था. इस खबर के सामने आने के बाद पुरे देश को झकझोर करके रख दिया था. इस मामलें में हमारे देश को दुनिया भर में शर्मिंदगी भी झेलनी पड़ी थी.
ऐसा ही एक और मामला फिर से पेश आया हैं. लेकिन इस बार ये मामला गाँव देहात का न होकर हैदराबाद में पेश आया हैं. भीख मांगकर गुजारा करने वाला एक व्यक्ति को पैसे के आभाव में अपनी पत्नी के शव को एक ठेले पर रखकर 60 किलोमीटर से अधिक पैदल चलना पड़ा. इस दौरान वह रास्ता भूल विकाराबाद पहुंच गया.
कुष्ठ रोग से पीड़ित कविता की चार नवंबर को लिंगमपल्ली रेलवे स्टेशन के पास मौत हो गई थी. मेडक जिले के मनूर के रहने वाले रामुलू अपनी पत्नी के शव को घर ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिलने के कारण स्थानीय निजी वाहनों से पत्नी के शव को ले जाने की गुहार की, लेकिन उन्होंने उससे 5,000 रुपये मांगे.
विकाराबाद टाउन सर्किल इंस्पेक्टर जी रवि ने बताया, ‘रामुलू के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह वाहन किराये पर ले पाता, इसलिए उसने कविता के शव को एक हाथगाड़ी पर रखा और उसके साथ चलते हुए बीती दोपहर विकाराबाद पहुंच गया.’ इंस्पेक्टर ने आगे बताया कि कुछ स्थानीय लोगों ने रामुलू को उसकी पत्नी के शव के पास रोते देखकर पुलिस को सूचित किया जिसके बाद एक एंबुलेंस की व्यवस्था की गई और शव को रामुलू के पैतृक स्थान पहुंचाया गया.