दलित ने संभाली राष्ट्रपति की कुर्सी, फिर भी 300 दलित परिवार भूख हड़ताल पर बैठने को मजबूर

भारत के 14 वें राष्ट्रपति के रूप में दलित परिवार में जन्मे रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को शपथ ग्रहण की है. राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने उम्मीद जताई कि देश भर में दलितों पर  हो रहे अत्याचार कम हो होंगे.

इसी बीच आंध्र प्रदेश में अत्याचारों से नाराज दलितों को अनिश्चित काल के लिए भूख हड़ताल पर बैठने को मजबूर होना पड़ा है. दरअसल उन्हें गाँव के ऊँची जातियों के बहिष्कार के कारण यह कदम उठाना पड़ा. पश्चिमी गोदावरी जिले के एक गांव गरागापारु के करीब 300 दलित परिवार उच्च जाति द्वारा बहिष्कार के बाद मंगलवार से अनिश्चितकालीन उपवास पर बैठ गए. ये सभी लोग माला समुदाय से ताल्लुक रखते है.

बाबा साहब अंबेडकर की मूर्ति स्थापना को लेकर शुरू हुआ विवाद दलितों के बहिष्कार का कारण बना. दरअसल ,  24 अप्रैल को दलित समुदाय के लोगों ने भीमराव अंबेडकर का पुतला लगाया था. इस दौरान उच्च वर्ग के लोगों ने विरोधस्वरूप पुतले को हटा दिया.

इसके विरोध में दलितों ने ऊँची जातियों के मालिकों के खेतों में काम करने से मना कर दिया. जिसकी सजा दलितों को बहिष्कार के रूप में मिली. घटना के बाद राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के सदस्य के रामुलु ने 27 जून को गांव का दौरा कर हालात की जानकारी ली.

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