हैक होते ट्विटर अकाउंट और ऑनलाइन होती अर्थव्यवस्था

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नयी दिल्ली – इस सप्ताह कुछ बातों ऐसी थी जो सुर्ख़ियों में बनी रही जैसे नोटबंदी से होने वाली मौतों तथा परेशानियों की. मुख्यमंत्री जयललिता की हार्टअटैक से मृत्यु की और इनमे एक खबर ऐसी भी थी जिसे ज्यादा गंभीरता से नही लिया गया हालाँकि डिजिटल होती इकॉनमी में वो जितना गंभीर मुद्दा है तथा उसके होने से जितनी अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है उसके आगे नोट बंदी की कतारों में होने वाली परेशानियाँ कहीं नही टिकेंगी. वो खबर जो कब आई और कब गयी वो थी लगातार हैक होते ट्विटर अकाउंट.

जहाँ एक तरफ प्रधानमंत्री मोदी अर्थवयवस्था को कैशलेस करने की नसीहत दे रहे है पेटिएम से लेकर ऑनलाइन बैंकिंग से व्यापार और ट्रांसेक्शन करने पर बल डाला जा रहा है ऐसे में ऑनलाइन सिक्यूरिटी पर हैक होते अकाउंट प्रशन चिन्ह लगा रहे है. लोगो के दिलों में असमंजस है की जब राहुल गाँधी से लेकर बरखा दत्त और रवीश कुमार के ट्विटर अकाउंट हैक हो सकते है तो सिर्फ एक मोबाइल एप्लीकेशन से उनका मेहनत से कमाया हुआ धन कितना सुरक्षित रह सकता है.

पिछले दिनों खबर आई की राहुल गाँधी के ट्विटर अकाउंट हैक हो गया है तथा हैकर ने उस अकाउंट से गाली गलौच की लेकिन इस खबर के तुरंत बाद खबर आई की कांग्रेस पार्टी का ऑफिसियल ट्विटर अकाउंट भी हैक हो गया कुछ दिन खबर सुनाई पड़ी के बरखा दत्त भी ऑनलाइन हैकिंग की शिकार हुई और कल रवीश कुमार का अकाउंट भी खंगाल लिया गया.

ऑनलाइन पेमेंट में कहाँ है चिंता की बात

अगर आप इन्टरनेट बैंकिंग या पेटिएम से मोबाइल रिचार्ज, टिकेट बुकिंग करते है तो आपने देखा होगा है ट्रांसेक्शन करते समय आपके रजिस्टर्ड मोबाइल पर एक otp ( वन टाइम पासवर्ड) आता है जिसे आपको screen पर इनपुट करना होता है. उसके बाद ट्रांसेक्शन कम्पलीट होता है लेकिन हैकिंग के इस ज़माने में जब लोगो की जेब में स्मार्ट-फ़ोन है जिसमे एंड्राइड ऑपरेटिंग सिस्टम है और रिलायंस जिओ का फ्री इन्टरनेट वाला सिम कार्ड मौजूद है तो ऐसे समय में कितनी तेज़ी से डाटा हम खुद हैकर तक पहुंचा सकते है इसका अंदाज़ा हमें खुद नही है.

permiबात जब सिक्यूरिटी की चली है तो आपको बताते चले की एंड्राइड कितना अधिक सुरक्षित है ? जब भी आप कोई मोबाइल एप्लीकेशन इनस्टॉल करते है तो इंस्टालेशन से पहले आपसे परमिशन ली जाती है की जो ऐप आप इंस्टाल करने जा रहे है वो एप्लीकेशन आपके कॉन्टेक्ट्स,sms,फ़ोन,आइडेंटिटी इस्तेमाल कर सकती है और जब आप एक्सेप्ट पर क्लिक करते है तो मोबाइल फ़ोन के सेंसिटिव डाटाबेस उस एप्लीकेशन के लिए एक रास्ता खोल देता है जिससे वो एप्लीकेशन जब चाहे आपकी जानकारी देख, पढ़ या इस्तेमाल कर सकती है.  (नीचे फोटो देखिये).

अब मसलन के तौर पर आपके मोबाइल पर OTP आया तो अब वो OTP हैकर अगर चाहे तो इस्तेमाल कर सकता है या ये भी हो सकता है की वो आपसे पहले ही उस OTP का इस्तेमाल कर ले क्यों की अपने मैसेज पढ़ने की अनुमति आपने एक एप्लीकेशन के द्वारा उसे खुद दी है.

और जब बात आती है की देश के नामी गिरामी लोगो के ट्विटर अकाउंट हैक होने की तब मन में और अधिक संदेह पैदा हो जाता है की जब हैकर टारगेट करके किसी का भी ट्विटर अकाउंट हैक कर सकते है तो ऑनलाइन बैंकिंग भी तो इन्टनेट पर ही आधारित है. पेटिएम तो पूरी तरह से एप्लीकेशन से संचालित होता है. अगर ऐसे में हमारा ऑनलाइन ट्रांसेक्शन अकाउंट ही हैक हो जाये तो हम कुछ ही सेकंड में नवजात शिशु की भाँती हो जायेंगे.

सरकार जितना जोर अर्थव्यवस्था को कैश लेस करने में दे रही है उतना ही अधिक जोर इन्टरनेट और ऑनलाइन बैंकिंग को सिक्योर बनाने में देना चाहिए. ऐसे समय में अगर देश के नामी गिरामी लोगो के अकाउंट होने की खबर सुनाई पड़ती है तो यह ऑनलाइन बैंकिंग की साख पर बट्टा लगाने का काम करेगी.

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