मालदा ज़िले के कालियाचक में तीन जनवरी को हुई हिंसा पर जहाँ देश भर में बहस चल रही है, वहीं क़स्बे में 1200 बीघे में लगी अफ़ीम की फ़सल उजाड़ी जा चुकी है.
जब मैं हिंदू बहुल डोमाईचक गाँव पहुँचा तो वहाँ बीएसएफ, बंगाल पुलिस, एनसीबी और एक्साइज विभाग का ज्वाइंट ऑपरेशन चल रहा था, गाँववाले हिंदू-मुसलमान तमाशबीन बने खड़े थे.
इसके साथ ही गांजे की फ़सल भी नष्ट की जा रही थी.
मालदा के एक्साइज सुपरिटेंडेंट सुप्रभात विश्वास ने बताया, “शाहबाज़पुर अंचल के डोमाईचक, शाहबानचक, बेदराबाद, कालीनगर और मालीतुपुर गाँवों में यह आपरेशन चलाया गया है.”
स्थानीय लोग बताते हैं कि सीमा पर रहने वाले अधिकतर किसानों ने अफ़ीम माफियाओं को किराये पर अपनी ज़मीन दे रखी है. इसमें मुसलमानों के साथ हिंदू भी शामिल हैं.
जहाँ भाजपा और उससे जुड़े संगठन मामले को सांप्रदायिक हिंसा बता रहे हैं, वहीं राज्य के एकमात्र भाजपा विधायक सामिक भट्टाचार्य कहते हैं कि हिंसा के पीछे माफ़िया का हाथ है.
सामिक कहते हैं, “यहां से देश भर में जाली नोटों की खेप पहुंचाई जाती है. अवैध हथियारों का धंधा पुराना है. इन माफ़िया गिरोहों ने जुलूस का फायदा उठाकर थाने में तोड़फोड़ की और वहां कागज़ात जला दिए. पूरा उपद्रव थाने में रखे कागज़ात जलाने और पुलिस-बीएसएफ़ को आतंकित करने के लिए किया गया”.
कैसा है ये क़स्बा?
कालियाचक के भीड़ भरे चौराहे पर दुकान चलाने वाले फिरोज़ कहते हैं, “यहां हिंदुओं और मुसलमानों में सदियों पुरानी एकता है.”
सैकड़ों साल पुरानी पांच मंज़िला जामा मस्जिद में नमाज़ पढ़ने आए फिरोज़, लियाकत दूसरे लोगों ने बताया कि कालियाचक में पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था.

एनएच-34 से लगे इस क़स्बे के बाज़ार में हिंदुओं और मुसलमानों की दुकानें साथ-साथ लगती हैं. यहीं पर फूल बेचने वाले प्रेम कुमार गुप्ता भी कहते हैं कि कालियाचक में हमेशा मेल-मिलाप का माहौल रहा है.
हिंदूवादी नेता कमलेश तिवारी की पैगंबर हज़रत मोहम्मद के बारे में लखनऊ में की गई टिप्पणी के ख़िलाफ़ इदारा-ए-शरिया समेत कई मुस्लिम संगठनो ने विरोध मार्च का आयोजन किया था, जिसमें बहुत बड़ी तादाद में लोग शामिल थे.

फ़िरोज़ कहते हैं, “स्थानीय पुलिस से इसकी अनुमति ली गई थी. इसके बावजूद पर्याप्त सुरक्षा बंदोबस्त नहीं किए गए थे. इसका फ़ायदा जुलूस में शामिल कुछ असामाजिक तत्वों ने उठाया. अगर यह हिंसा सांप्रदायिक होती तो थाना परिसर में मौजूद मंदिर को नुकसान पहुंचाया गया होता”.
उन्होंने बताया कि जुलूस ‘कमलेश तिवारी को फांसी दो’ जैसे नारों के साथ निकाला गया. उनका पुतला भी जलाया गया. मंदिर के पुजारी प्रताप त्रिवेदी ने बीबीसी को बताया कि “उस दिन माहौल डरावना ज़रूर था लेकिन उन लोगों नें मंदिर को छुआ तक नहीं”.

तकरीबन 90 प्रतिशत मुस्लिम आबादी वाले कालियाचक के बालियाडांगा मुहल्ले में करीब 300 घर हिंदुओं के हैं. यहां पिछले 10 साल से चाय बेचने वाले सितेश माहरा की दुकान को भी उपद्रवियों ने निशाना बनाया.
सितेश माहरा ने बीबीसी को बताया, “उन्होंने मेरी दुकान के एक हिस्से को तोड़ दिया. दुकान मे रखे 5 लीटर दूध में मिट्टी का तेल डाल दिया. दुकान से 100 मीटर की दूरी पर मौजूद थाने की पुलिस को यहाँ पहुंचने में 6 घंटे लग गए”.
माहरा की दुकान के सामने ही एक घर के अहाते में खड़ी बाइक में आग लगा दी गई. बालियाडांगा के तन्मय उर्फ गोपाल तिवारी के पैर में गोली लगी है. वे मालदा में इलाज करा रहे हैं.

उन्होंने बताया कि हिंसा का विरोध करने पर उनके पैर में गोली मार दी गई, उपद्रवियों ने एक मंदिर की बाउंड्री भी तोड़ दी.
एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि “जब जुलूस थाने में पहुंचा तो सारे पुलिसवाले थाना छोड़कर भाग गए. इसके बाद वहां भाषणबाजी हुई. उस भाषण के बाद भीड़ में कुछ लोग हिंसक हो उठे और थाना परिसर में रखे ट्रक, बाइक समेत करीब दो दर्जन गाड़ियों में आग लगा दी”.

मालदा के ज़िलाधिकारी देवातोष मंडल ने बीबीसी से बातचीत में कहा, “इस मामले में रिपोर्ट दर्ज कर कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया है. हिंसा हुई है लेकिन उस पर समय रहते काबू पा लिया गया”.
थाने के सामने से जली गाड़ियों को हटाकर रंगाई-पुताई करा दी गई है, लेकिन असली समस्या का समाधान हुआ हो ऐसा नहीं लगता.
बीबीसीहिंदी की रिपोर्ट