कोहराम न्यूज़ नेटवर्क : 16 अक्टूबर 2014 – गतवर्ष की रिपोर्ट
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लगभग सभी जिलो में रोजाना हिन्दू वादी कार्यकर्ताओ द्वारा गौ सेवा के नाम पर गाय और गौवंशीय पशुओ को दुसरे समुदाय से छिनना और पुलिस के काम में दखल देना रोज़ मर्रा की बात है! लगभग रोज़ इस तरह की खबरे बहुत ही आम है की गौ सेवा के नाम पर राजनीती करने वाले संगठन के उत्तेजित कार्यकर्ताओ ने कैसे कैसे गौ वंशीय पशु बरामद किये !
आए दिन देश के किसी न किसी क्षेत्र से गाय से भरे ट्रक, गौरक्षकों अथवा पुलिस द्वारा पकड़े जाने की खबरें आती रहती हैं। इन खबरों के सामने आने के बाद वातावरण तनावपूर्ण हो जाता है। कई बार ऐसे वातावरण के मध्य हिंसा अथवा सांप्रदायिक हिंसा भी भडक़ चुकी है। परंतु ऐसे अवसरों पर यह तो देखा जाता है कि अपने ट्रक में बेरहमी से भरकर इन गायों को कौन ले जा रहा था तथा क्यों ले जा रहा था?
परंतु इस बात की चर्चा करना कोई मुनासिब नहीं समझता कि हत्यारों के हाथों में इन गायों को पहुंचाने का जि़म्मेदार कौन है? यदि सही मायने में देखा जाए तो गौवध की शुरुआत वहीं से होती है जहां कि कम दूध देने अथवा दूध देना बंद कर देने वाली गायों को किसी खरीददार के हवाले कर दिया जाता है।
इतना ही नहीं बल्कि गौरक्षा के नाम पर राजमार्गों पर दहशत फैलाने वाले संगठन उन सरकारी मान्यता प्राप्त बूचड़ खानों पर भी जाकर यह अपना विरोध दर्ज कराने का साहस नहीं करते जहां कि प्रतिदिन सैकड़ों गाय,बैल तथा भैंस आदि काटकर उनके मांस का निर्यात किया जाता है?
साथ ही साथ इस बीच में क्या क्या गोरखधंधे विभिन्न शहरों में चल रहे हैं यह बात यहाँ ध्यान देने योग्य है!
राजस्थान पंजाब से आ रहे भैंस कटरा ,भैंसा,बैल ,बकरी ,गाय आदि जानवरों को ड्राईवर हर बॉर्डर पर न सिर्फ मोटी रकम देकर गाड़ी निकलते हैं बल्कि अगर हिन्दू वादी संगठनों के इन कार्यकर्ताओं को गाडी की भनक लग जाए तो जानवर चाहें काले हों या गौ वंशीय ,उनको अच्छी खासी मुसीबत उठानी पड़ती है!
यहाँ यह बात विदत है खेती, गौ पालन आदि के लिए लाये जा रहे जानवर भी इन्ही मुसीबतों के चक्कर में फंस कर बिक कर अंत में कसाई के हाथों में ही पहुँचते हैं!
गऊमाता: क्या केवल हिंदुओं की ही आराध्य?
कई शहरो में गौ सेवा कार्यकर्त्ता पुलिस या पशु मालिको से मोटी रकम वसूलकर आगे अन्य शहरो में भी जाने देते हैं ! इसी सम्बन्ध में जून में कोहराम इंग्लिश ने यह खबर प्रकाशित की थी जिसका टाइटल था,” विश्व हिन्दू परिषद् करा रही है गायों की तस्करी !पंजाब से केरला तस्करी के लिए दिए जाते हैं सर्टिफिकेट ! मंगलोर के बजरंग दल यूनिट के छापे में हुआ खुलासा”! इसी तरह से गौ सेवा में मशहूर सर्वदलीय गो रक्षा मंच के नयाल सनातनी पर भी गौ सेवा के नाम पर करोड़ों बनाने के आरोप हैं!यह आरोप एक अन्य गौ सेवा संगठन ने ही लगाये हैं ! या पढ़िए यह रिपोर्ट और पढ़िए कैसे गौ सेवा के नाम पर हो रहे हैं गोरख धंधे
कोहराम को मिली जानकारी के अनुसार , उत्तराखंड के रुद्रपुर जिले में तो इन संगठनों के कसाई बिरादरी से अच्छे सम्बन्ध भी हैं और एक दुसरे से खूब दोस्ती है दोनों एक दुसरे के खूब काम आते हैं और दोनों के धंधे खूब चल रहे हैं! कोई किसी का विरोध नहीं करता!
ताज़ा खबरे उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद और अमरोहा शहरों से आरही हैं जहाँ विभिन गौ सेवा समितियों की हकीक़त खुल कर सामने आ जाती है और गौ रक्षा या गौ सेवा के इस पहलु से पूरी तरह पर्दा उठ जाता है कि गौ समितियां या गौ शालाएं गौ की सच्ची हमदर्द होती हैं!
इनकी करतूतों से यह साबित हुआ है कि यह गौ रक्षा नहीं गौ व्यापारी हैं जो कसाई से गौ वंशीय पशु के नाम पर पहले तो पैसा उघाते हैं दुसरे हाई वे पर गाड़ियाँ पकड़कर कुछ दिन गौ सेवा के नाम पर रखने के बाद बाद में दुसरे कसाइयों को हत्या के लिए बेच देते हैं!
पढ़िए यह दो ख़बरें!
पहली खबर उत्तर प्रदेश में अमर उजाला अमरोहा एडिशन गजरौला के पेज पर दस नवम्बर को यह खबर प्रकाशित है जिसमे गौ समिति के ही गौ रक्षकों ने गौ को संभल के कसाईयों को बेच दिया !
दूसरी खबर मुरादाबाद के ही काँठ की है कान्हा समिति ने भोजपुर में ही गौ का सौदा कर डाला वोह भी 9 लाख में! अब बताएये इससे अच्छा व्यापार क्या होगा जिसमे मुफ्त में राजनीती चमकाने का मौका मिले और बाद में धर्म और मर्यादा ताक पर रखकर माता को ही बेच दिया जाए!