
सोनिया गांधी ने सोमवार को एक इफ़्तार पार्टी दी. इसमें अधिकतर विपक्षी दलों के नेता मौजूद थे.
रमज़ान के महीने में नेताओं की इफ़्तार की दावतों के क़िस्से अक्सर सुनने में आते हैं. क्या इफ़्तार की दावतों और सियासत में कोई संबंध है? हालांकि मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अभी तक कोई भी इफ़्तार पार्टी नहीं दी.
मोदी की नहीं दिलचस्पी

प्रधानमंत्री बनने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने भी इफ़्तार पार्टी दी थी. लेकिन मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इसमें कोई दिलचस्पी नहीं दिखती.
कुछ दिन पहले अटकलें लग रही थीं कि वो कश्मीर जा रहे हैं जहां वो इफ़्तार पार्टी का आयोजन करेंगे.
लेकिन बकायदा बाद में इन ख़बरों का खंडन किया गया.
पार्टियों का है ऐतिहासिक महत्व

अगर इतिहास के पन्नों को थोड़ा पहले खोला जाए तो हम पाएंगे कि हमारे देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू इफ़्तार पार्टियां दिया करते थे.
इसमें वो सभी राजनयिकों, मशहूर हस्तियां, मुस्लिम बुद्धिजीवी, मंत्रियों को इसमें आमंत्रित किया जाता था.
ख़ास बात यह थी कि यह पार्टियां उनके घर पर नहीं बल्कि कांग्रेस कार्यालय सात जंतर-मंतर पर होती थी.
कुछ वर्षों तक नही हुई पार्टियां
जवाहरलाल नेहरू के बाद लाल बहादुर शास्त्री दो साल के लिए प्रधानमंत्री रहे. इस दौरान उन्होंने कोई इफ़्तार पार्टी नहीं दी.
लेकिन एक बार फिर से इन पार्टियों को फिर से देने का सिलसिला शुरू किया उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा ने.
1974 में पहली बार लख़नऊ में उन्होंने कई मशहूर मुस्लमानों के लिए उन्होंने इफ़्तार पार्टी रखी थी.
इंदिरा गांधी ने भी दी पार्टियां
बहुगुणा के बाद प्रधानमंत्री बनने के बाद इंदिरा गांधी ने भी इफ़्तार पार्टियां दी. लेकिन वो इस दौरान केवल मुस्लिम देशों के राजदूतों को ही बुलाती थीं.
इंदिरा गांधी के हारने के बाद जब जनता पार्टी सत्ता में आई तो उनके अध्यक्ष चंद्रशेखर ने भी पार्टी मुख्यालय में यह पार्टियां आयोजित कराते थे.
लेकिन इन पार्टियों में मोरारजी देसाई कभी नहीं आते थे. उनका मानना था कि यह पार्टियां केवल सांकेतिक हैं और इनका कोई महत्व नहीं है.
दोबारा शुरू हुआ चलन

इंदिरा गांधी जब दोबारा 1980 में प्रधानमंत्री बनीं तो उन्होंने इन पार्टियों में केवल राजदूतों को ही नहीं अन्य मशहूर हस्तियों को भी बुलाना शुरू किया.
इसमें बेहतरीन तरह के पकवान बनते थे और केवल मुस्लमान हीं नहीं हिन्दु बिरादरी की भी मशहूर हस्तियां इसमें शिरकत करती थीं. यह एक बड़ा जलसा होता था.
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