आतंकवादी मीडिया ने कैराना को इतना बदनाम कर दिया की सबकुछ जानते हुए भी एकबार खुद कैराना जाकर हालात का जायजा लेने से खुद को नही रोक पाया…वहां जाकर जो देखा सुना वो यहाँ साझा कर रहा हूं.
2013 के दंगे की मार अभी तक झेल रहे हैकैराना मे घुसने से पहले ही भूरा रोड पर खेतों के बीच झुग्गियों मे पडे पांच सौ मुस्लिम परिवार दिखे, 2013 के दंगो के बाद से ये लोग बिना शिक्षा और चिकित्सा सुविधा के बद से बदतर हालात मे जिंदगी गुजारने को मजबूर है..2013 से ही कभी गर्मियों मे 48 डिग्री तापमान के साथ सूरज इन्हे झुलसा रहा है..कभी आंधी इनकी झुग्गियों को उडा ले जाती है
कभी बारिश भरी रात छोटे छोटे नौनिहालों के साथ भीग भीगकर गुजारनी पडती है…तो कभी पारे के 2 डिग्री से भी नीचे आने के कारण दूधमूहे बच्चों और बुजुर्गों को पाला असमय मौत दे जाता है
इस ईलाके मे कम से कम पन्द्रह और ऐसे ही दंगाईयो से खौफजदा विस्थापितो की बस्तियाँ इसी तरह इंसानी जिंदगियों का सहारा बनी हुई हैं।
खैर इनकी छोडो बात करते हैं असल मुद्दे की यानी कैराना से भाजपा प्रायोजित तथाकथित पलायन की..इसी सिलसिले मे सबसे पहले मुलाकात हुई भाजपा द्वारा पलायन करने वालो की जारी लिस्ट मे सबसे पहला स्थान पाने वाले कोल्ड ड्रिंक व्यापारी ईश्वर चंद उर्फ बिल्लू जी से,..बात करने पर बिल्लू जी ने ऑन कैमरा बताया की 16 अगस्त 2014 की रात मे पांच छः बदमाश उनके घर आये और उनसे बीस लाख रुपये की रंगदारी नही देने पर परिवार सहित जान से मारने की धमकी देकर चले गये…उसके बाद अगले तीन दिनो तक उन्होंने स्थानीय भाजपा नेताओं सहित मदद के लिए हर मुमकिन दरवाजा खटखटाया, लेकिन कहीं से भी संतुष्टि नही मिलने पर मजबूर होकर 19 अगस्त की रात उन्होंने परिवार सहित कैराना से पलायन कर दिया…उनके पलायन के पीछे हिन्दू मुस्लिम नफरत जैसे किसी कारण को पूछने पर उन्होंने ऐसी किसी भी बात से इंकार करते हुए बताया..कि उनके यहाँ काम करने वाले छब्बीस कर्मचरियों मे से बाईस कर्मचारी मुसलमान ही थे और आज भी यहां उनके बचे कुचे कारोबार और सम्पत्ति की देखभाल के लिए एकमात्र मुस्लिम नौकर ही है।
फिर जारी लिस्ट मे 33 नंबर पर मौजूद अनिल जैन जी से बात हुई..उन्होने बताया कि वो चार साल पहले ही अपना कारोबार शामली मन्डी मे होने के कारण शामली आ गये थे…और गगन विहार शामली मे आलिशान कोठी बनाकर आराम से रह रहे हैं..लिस्ट मे मौजूद डाॅ मनोज के भाई कमल ने बताया कि उनके भाई ने गुजरात मे फैक्ट्री लगाई हुई है वो इसलिए गुजरात चले गये और वो यहाँ कैराना मे ही आराम से मेडिकल स्टोर चला रहे हैं.
पलायन करने वाले 341 लोगों की लिस्ट मे 231 और 232 नंबर पर मौजूद सुबोध जैन एडवोकेट और सुशील एडवोकेट की क्रमशः सात साल और पन्द्रह साल पहले ही हत्या हो चुकी है..जिनमे एक सुबोध जैन की हत्या के आरोपी अमित विश्वकर्मा आदी हिन्दू ही जेल गये थे और एक की हत्या मे सांसद हुक्म सिंह के नजदीकी उनके सजातीय दबंग का नाम पुलिस ने मुकदमे से निकाल दिया था क्योंकि उस वक्त हुकुम सिंह प्रदेश की भाजपा सरकार मे मुख्यमंत्री के बाद दूसरा स्थान रखते थे…
ऐसे ही 341 लोगों(ना की परिवारों की) की लिस्ट मे अधिकतर लोग कोई बीस साल पहले तो कोई पन्द्रह साल पहले किसी ना किसी कारोबारी सिलसिले के चलते दिल्ली नोएडा जैसी जगहों पर शिफ्ट हो चुके हैं…मूला पंसारी और एक दो परिवार जरूर मुकीम काला गैंग के रंगदारी मांगने पर कैराना से सैंकडो मुस्लिम परिवारों के साथ पलायन कर गये हैं..नाम उजागर नाम करने की शर्त पर तीन मुस्लिम परिवार ऐसे भी मिले जिन्होंने गैंग के लोगों को दस दस और बीस बीस लाख रंगदारी के देकर अपनी जान बचाई थी(मुकीम और गैंग अब जेल मे है)…अब बात करते हैं मुकीम गैंग द्वारा कैराना मे अंजाम दी गई घटनाओं की तो थाने से पता चला की मुकीम गैंग ने कैराना क्षेत्र मे छः हत्याएं की है जिनमे व्यापारी राजू और उसके भाई सहित दो हिन्दू और कल्लू..काला खुरगान निवासी दोनो सगे भाई..एक जन्धेडी निवासी और फुरकान उर्फ काला निवासी बलवा सहित चार मुसलमानों की हत्या की है।
इस घर को हिन्दू विस्थापितों का घर दिखाकर सहानभूति बटोरी जा रही है जबकि ये घर एक मुस्लिम मौहम्मद जमा का निकलाफिर थाने जाकर वर्ष 2014 का रिकॉर्ड देखने पर पता चला की उस साल वहाँ हत्याओं के कुल 22 अभियोग पंजीकृत हुए थे…जिनकी हत्या के आरोपी राजेन्द्र शिवकुमार बन्धुओं के मुस्लिम मुकीम काला आदि है.. विनोद की हत्या मे फुरकान अमित हिन्दू मुस्लिम दोनो है..राजेन्द्र की हत्या मे रविन्द्र हिन्दू है..सचिन की हत्या मे सपट्टर हिन्दू आरोपी है…उपरोक्त पांच के आलावा बाकी सभी हत्याएं मुस्लिमों की ही हुई है…जिनमे वासिल के लिए परवेज..मुरसलीन और एक अन्य की हत्या मे उसकी पत्नी..जाबिर की हत्या मे इसरार…सालिम की हत्या मे अज्ञात..वकील की हत्या मे सलमान..शहजाद की हत्या मे हाशिम आदी…नईम की हत्या मे जनाब..मजाहिर की हत्या मे मोहसिन आदि..सालिम की हत्या मे कासिम आदि…अजीमा की हत्या मे शमशाद..शीबा और रिजवाना की हत्या मे शमीम आदि…तालिब की हत्या मे रुकमदीन आदि आरोपी है….
बाकी 341 लोगों की लिस्ट ध्यान से देखने पर पता चलता है कि वो कुल पन्द्रह बीस परिवारों के ही सदस्य है ना की 341 परिवार हैं….इसके अलावा डेढ लाख से अधिक आबादी वाले ऐतिहासिक नगर कैराना मे एक भी महिला एमबीबीएस डाॅक्टर नही है..अधिकतर डिलिवरी के मामलो मे लोगो को पानीपत या शामली दौडना पडता है..अच्छी शिक्षा के लिए हजारों बच्चे रोजाना शामली या दूसरे प्रदेश हरियाणा के पानिपत शहर मे पढने जाते हैं….अच्छे रेस्तरां अच्छे थियेटर मे फिल्म देखने या स्तरीय शांपिग जैसी बात तो कैराना मे बहुत दूर की कौडी है ही.
अब मेरा सवाल है कैराना से सात बार के विधायक प्रदेश सरकार मे कई बार पांच पांच छः छः मंत्रालय अपने पास रखने वाले भाजपा के सांसद महोदय हुकूम सिंह जी से कि जब उन्होंने पिछले चालिस सालों मे कैराना के लिए इतना भी नही किया कि वो अपने खुद के परिवार को भी कैराना मे रख सकें तो आम साधन सम्पन्न हिन्दू या मुसलमान कैराना मे आखिर क्यों रहे?
– लेखक मुस्लिम टूडे मैग्जीन के सहसंपादक हैं।
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