दो दिनों में एक जैसी ही दो घटनाएँ घटी , एक भारत के गोरखपुर में और दूसरी पाकिस्तान के “घटकी” में।
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में एक थानेदार ने एक रोजेदार पर ऐसा जुल्म ढाया कि सुनकर कोई भी सिहर जाएगा। सूदखोरों के दवाब में आकर पुलिस ने परवेज आलम को घर से उठा लिया और उसे इतना पीटा कि वह बेहोश हो गया। जब परवेज ने रोजे में होने की बात कही और पानी मांगा, तो थानेदार “आरएन दुबे” ने उसे पेशाब पिलाने तक की धमकी दे डाली। यह भारत में होता रहता है अब जो पाकिस्तान में होता है वह देखिए।
यूपी पुलिस की गुंडागर्दी, रोजेदार की पिटाई कर पेशाब पिलाने की धमकी
80 वर्षीय बुजुर्ग गोकुलदास शाम करीब 6.30 बजे अपने घर के बाहर बैठकर चावल खा लिए थे, जबकि इफ्तार का वक्त 40 मिनट बाद होना था। पुलिस की पिटाई के बाद गोकल दास का फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया जिसमें गोकुल दास के हाथ खून से सने दिखाई दे रहे हैं। ट्विटर पर इस घटना की निंदा के साथ बुजुर्ग को न्याय दिलाने की गुहार लगाई गई और कांस्टेबल को जमकर बुरा भला कहा गया, एक हिन्दू बुजुर्ग को इंसाफ दिलाने के लिए पूरा पाकिस्तान एक हो गया , जिसके बाद आरोपी कांस्टेबल को गिरफ्तार कर लिया गया।
Policeman arrested for allegedly torturing elderly Hindu man in Ghotki
कांस्टेबल का नाम “हसन अली” है तो ऐ हसन अली तुम्हारे इस कृत्य पर लानत , यदि तुम्हारा इमान यही है तो तुम्हारे इस इमान पर लानत , तुम मुसलमान हो तो तुम्हारे मुसलमान होने पर लानत , इस्लाम में जबरदस्ती मुसलमान पर फर्ज निभाने के लिए नहीं फिर भी तुमने जो गोकलदास के साथ किया वही तुम्हारी समझ है तो तुम्हारी समझ पर लानत तुम्हारी सोच पर लानत तुम्हारे बुजुर्ग के प्रति इस व्यवहार पर लानत।
अब हम भी पाकिस्तान के बराबर ही खड़े हैं , तो सांप्रदायिक एकता और सद्भाव की कहानियाँ और किस्से अब इतिहास हो गये , फर्क इतना है कि पाकिस्तान में इस घटना का इतना विरोध हुआ कि कांस्टेबल हसन अली को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया और गोरखपुर का पुलिस वाला अभी भी अपनी कुर्सी पर बैठा हुआ है।
सोचिएगा जरा कि कहाँ कौन पिटा , पाकिस्तान में हिन्दू पिटा तो भारत में मुसलमान पिटा , दोनों को पीटने वाले पुलिस ही थे कहीं “हसन अली” तो कहीं “आर एन दूबे” , घृणा का आधार धर्म ही था , कौन अधिक अमानवीय है कौन अधिक बर्बर यह सोचते रहिएगा और सोचिएगा कि पाकिस्तान की कट्टरता की आलोचना करते करते हम पाकिस्तान जैसे कट्टर कैसे हो गये।
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Mohd Zahid