हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को एक “लाल बदमाश” का खुला पत्र

मनोहर लाल खट्टर जी,

6 मार्च को आपने हरियाणा विधान सभा में विपक्ष की पार्टी के सवालों का जवाब देते हुए आपने बोला कि हरियाणा के कर्मचारियों को जो भड़का रहे है इसके पीछे लाल बदमाश है। इनकी लाल बदमाशी नही चलने दी जाएगी। हमने त्रिपुरा से तो लाल बदमाशी खत्म कर दी अब हरियाणा से भी लाल बदमाशी खत्म करके इन लाल बदमाशो को बाहर फेंक देंगे।

आपका ब्यान सुन कर कोई अचरज नही हुआ। खुशी जरूर हुई कि हरियाणा का मुख्यमंत्री जिसके पास सत्ता के सभी संसाधन है। जो पूर्ण बहुमत से सत्ता पर काबिज है। जिसको न सरकार गिरने का डर है और न खुद की कुर्सी जाने का डर है। क्योकि आपके मालिक लोग अभी आपके काम से खुश है। विपक्ष जो यहाँ है कॉग्रेस और इनेलो उनसे न डर कर आप हमसे डर रहे हो। इसका सीधा मतलब ये है कि आपका मालिक हमसे डर रहा है। अब मालिक डरा तो सैनिक तो वैसे ही डरेगा। हरियाणा ही नही देश में और पूरे विश्व मे आप और आपके मालिको की लुटेरी मण्डली सिर्फ डरती है तो वो है लाल झंडा और उसके लाल सैनिको से, लुटरों की लूट को अगर कोई बन्द करने के लिए लड़ रहा है तो वो सिर्फ लाल बदमाश ही है। इसीलिए आप लाल बदमाशो से डर रहे हो।

ये डर जो लाल बदमाशो से आपको है ये ही डर आपसे पहले औरउनसे पहले वाली सरकारों को भी और विपक्ष को भी सताता रहा है। ये ही डर आपके आका साम्राज्यवादी अमेरिका और उसके सांझेदारो को डराता रहता है। आपको डरना भी चाहिए। क्योंकि थोड़ा सा इतिहास में जाये तो भारत पर साम्राज्यवादी ब्रिटेन का कब्जा था। वो हमारी प्राकृतिक सम्पदाओं को, हमारी मेहनत की कमाई को लूट कर अपने देश मे ले जाते थे। इस साम्राज्यवादी कब्जे के खिलाफ भारत के अलग-अलग हिस्सों में हथियार बंध लड़ाइयां शुरू हुई। इन लड़ाइयों का मकसद था ब्रिटेन से भारत को आजादी, लेकिन जैसे ही अक्टूबर 1917 में लेनिन के नेत्रत्व में मजदूर-किसान की रूस में सत्ता स्थापित हुई। इस घटना से पूरे विश्व के साम्राज्यवादी सत्ताओं को हिला कर रख दिया वही दूसरी तरफ सभी मुल्को के क्रांतिकारी ताकतों को एक नई ऊर्जा और दिशा मिली। भारत मे भी रूस से प्रभावित होकर कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना हुई जिसको ब्रिटेन ने बैन कर दिया। उसी दिशा में शहीद-ऐ-आजम भगत सिंह और उसके साथियों ने Hindustan Socialist Republican Association (HSRA) स्थापना की, इस क्रांतिकारी दल का लक्ष्य हथियारबन्द लड़ाई लड़ते हुए समाजवादी क्रांति लाना था। वही दूसरी तरफ रूस की क्रांति की आंधी को रोकने के लिए पूरे विश्व में साम्राज्यवादी मुल्को ने अपने उपनिवेशों में धर्म और जात के आधार पर संघठनों का निर्माण किया। भारत मे भी संघ, हिन्दू महासभा और मुश्लिम लीग की स्थापना हुई।

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HSRA ने साम्रज्यवाद के साथ-साथ देशी लुटेरी ताकतों से आजादी की बात की, भूमि बंटवारे की बात की, मेहनतकश से आह्वान किया कि साम्राज्यवादी और इनके साथी देशी पूंजीपतियों और सामन्तो की सत्ता को उखाड़ कर मेहनतकश की सत्ता का निर्माण करो। क्रांतिकारियों के इस आह्वान से देशी और विदेशी दोनों ही सत्ताएं कांप गयी। उस समय की सत्ताओं ने इन क्रांतिकारियों को आतंकवादी की संज्ञा दी।

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वही दूसरी तरफ साम्रज्यवाद के बनाये संघठनो को उन्होंने खूब मद्दत की, उनको पुरुस्कार दिए। क्योकि आपके संगठन का काम ही आजादीके आंदोलन को तोड़ना रहा, क्रांतिकारियों की एकता को तोड़ने के लिए धार्मिक दंगे करवाना। क्रांतिकारियों के खिलाफ गवाही देना रहा है। आपके संगठन का जन्म लुटेरो की मद्दत करने के लिए हुआ है और हमारे विचार का जन्म ही मेहनतकश के पक्ष में और लुटेरो के खिलाफ हुआ है। देश के आजाद हो ने के बाद हम भूमि बंटवारे, जल-जंगल-जमीन की रक्षा, मजदूर-किसान की सत्ता स्थापित करने के लिए समाजवादी क्रांति की तरफ बढ़ना। वही दूसरी तरफ आप आजादी से पहले अंग्रेजो के लिए काम करते थे तो आजादी के बाद राष्ट्रीय पूंजीपतियों और सामन्तो के लिए काम करने लग गए। मजदूर-किसान की एकता जिससे लुटेरो को खतरा था। उस एकता को तोड़ने के लिए आपके संगठन ने धर्म और जात के नाम पर बांटना जारी रखा। आप लोग राम मंदिर बनाने के लिए लड़ रहे थे तो हम स्कूल, अस्पताल बनाने के लिए लड़ रहे थे। हरियाणा की बात करे तो भठ्ठा मजदूरों, चौकीदारों, खेत मजदूरों जिनकी न मजदूरी तय थी, न काम के घण्टे तय थे। जिनके साथ मालिक आमानवीय व्यवहार करते थे। काम करवाकर दिहाड़ी देने से साफ मना कर देते थे। हमारे कामरेड साथियो ने इनको सँगठित कर लड़ाई लड़नी शुरू की उस लड़ाई की बदौलत ही आज उनकी जिंदगी में उजाला है। एक बेहतर सम्मान की जिंदगी है। ऐसे ही कर्मचारियों, असंघठित मजदूरों, किसानों, आशा वर्कर, आंगनवाड़ी, मिड डे मील कर्मचारियों के लिए लड़ाई लड़नी शुरू की, इस लड़ाई कीबदौलत ही इनकी जिंदगी बेहतरी की तरफ बढ़ी।

लेकिन आप जिन लुटेरे पूंजीपतियों की नुमाइंदगी करते हो। उन पूंजीपतियों की निगाहे, उन सरकारी महकमो पर है जिनको हमारी जनता ने अपने खून पसीने से खड़ा किया है। उन अरबो-खरबो की सम्पति पर इन लुटेरे पूंजीपतियों की निगाहें है। ये इस को हड़पना चाहते है लेकिन इनके इस रास्ते मे सबसे बड़ा रोड़ा ये लाल बदमाश है। लाल बदमाश ही है जो निजीकरण के खिलाफ लड़ रहे है। मुफ्त शिक्षा-स्वास्थ्य-पानी जो जनकल्याणकारी महकमे है उनको आप बन्द करके लुटेरे पूंजीपतियों को खुली लूट मचाने का मौका देना चाहते है। लेकिन लाल बदमाश ही है जो तुम्हारे इस सपने को पूरा नही होने दे रहे है।

आप फैक्टरी के मालिक की तरफ है उसके पक्ष में कानून बनाना चाहते हो ताकि वो मजदूर का खून चूस सके। लेकिन हम मजदूर के खून चूसने वालो का जबड़ा तोड़ने की बात करते है। आप मारुति मजदूरों को फांसी की सजा दिलवाने के लिए ऊपरी कोर्ट में जाते हो। हम मजदूरों की रिहाई के लिए जाते है। आपने कहा की लाल बदमाशो ने इंड्रस्ट्रीज का नाश कर दिया। हम कहते है कि जो मजदूर का खून चूस कर मुनाफा कमाए उनका नाश हो जाना ही चाहिए।

खट्टर साहब, आपने हरियाणा में एक कहावत तो खूब सुनी होगी – जिसकी खावे बाकली, उसके गावे गीत” आपके साथ ही नही विपक्ष के नाम पर सदन में बैठे कॉग्रेसी, इनेलो उनके साथ भी ये ही हाल है।आपसे पहले कॉग्रेस औरउससे पहले इनेलो सत्ता में थी दोनों ने ही चाहे कंडेला किसान आंदोलन हो या हौंडा, मारुति का आंदोलन हो। मजदूर-किसानों से लाठी गोली से बात की।

सरकार कांट्रेक्टर है तो विपक्ष ठेकेदार है – क्योकि आपको चुनाव में जो फंडिंग करते है। आपको और आपके संघठनो को जो पालते हैं। वो विपक्ष को भी तो फंडिंग करते है।गद्दी पर बैठने के बाद या विपक्ष में हो उनका कर्ज तो उतारना ही पड़ेगा। इसलिए हजारो करोड़ बैंकों से लेकर भागने वालो के खिलाफ, घोटालेबाजो के खिलाफ आपकी और विपक्ष की आवाज नही उठती। आपकी नजर में वो देशभक्त है, शरीफ है।

लेकिन कोई मजदूर की दिहाड़ी बढ़ाने के लिए आवाज उठाये, भारत के सविधान ने जो नियम बनाये है उनको लागू करवाने की मांग करें, तो वो बदमाश है।

भवदीय

उदय चे

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