- क्या चुनाव प्रचार कर रहे नेताओं, क्रिकेट-प्रेमियों और प्रवासी भारतीयों को ‘भारत माता की जय’ बोलने से रोका जाना चाहिए?
- नरेंद्र मोदी को लिखे एक खुले पत्र में आकाश बनर्जी ने उनसे अनुरोध किया है कि ‘भारत माता की जय’ का नारा अनिवार्य बनाने से संबंधित कानून तैयार करने समय वे उसमें कुछ कठोर प्रावधान भी जोड़ें ताकि यह कानून केवल उन्हीं के बारे में नहीं रहे जो यह नारा लगाना चाहते हों, बल्कि यह कानून उन लोगों की पहचान भी करता हो जो इस नारे को लगाने के योग्य ही न हों.
- इससे भारत माता को दुरुपयोग, मानहानि और शोषण से बचाया जा सकेगा.
प्रिय नरेंद्र मोदीजी,
भारत माता की जय
सबसे पहले तो सउदी अरब के सर्वोच्च नागरिक सम्मान किंग अब्दुलअजीज़ साश से सम्मानित किए जाने पर आपको हार्दिक बधाई. मुझे विश्वास है कि आपकी यह यात्रा किंग सलमान बिन अब्दुलअजीज़ को वहां के नागरिकों के मानवाधिकारों (जिसे दुनिया में सबसे खराब बताया जाता है) की बिगड़ती जा रही हालत पर कुछ करने को प्रोत्साहित करेगी.
मैं इस पत्र के माध्यम से आपको शुभकामनाएं देना चाहता हूं कि आपने राष्ट्रवाद के मोर्चे पर इतनी तेज़ी से तरक्की की है. लोग अब भ्रष्टाचार, काला धन, विकास आदि के मुद्दों पर कार्रवाई की बात भूल चुके हैं. वे आजकल सिर्फ भारत माता की चर्चा कर रहे हैं.
जब मैंने देवेंद्र फडनवीस को टीवी पर तकरीबन एलानिया मुद्रा में यह कहते हुए सुना कि जो कोई ‘भारत माता की जय’ कहने से इनकार करेगा उसे भारत में रहने का अधिकार नहीं होगा, तो मुझे काफी अच्छा लगा.
देवेंद्र फडनवीस ने कहा कि जो ‘भारत माता की जय’ नहीं कहेगा, उसे भारत में रहने का अधिकार नहीं होगा
बाद में देर शाम मुझे झटका लगा जब उन्होंने अपना बयान वापस ले लिया! आपने भी कैसे-कैसे दुविधाग्रस्त मुख्यमंत्री पाल रखे हैं? मुझे पक्का भरोसा है कि यह घोषणा अगर आपने की होती, तो अपने कहे से आप कभी भी पीछे नहीं हटते!
बहरहाल, मुझे आशा है कि बाबा रामदेव जैसे लोग यह सुनिश्चित कर पाएंगे कि यह नारा बहुत जल्द एक संवैधानिक आदेश में तब्दील हो सके. नारा न लगाने वालों का सिर कलम करने की धमकी भी बिलकुल सही दिशा में उठाया गया कदम है.
मैं तो वास्तव में यह सोचता हूं कि अपनी ‘भारतीयता’ और देशभक्ति को साबित करने के लिए एक पासपोर्ट और एक नारे का उच्चारण अनिवार्य कर दिया जाना चाहिए. (आदर्श स्थिति यह होगी कि आधार कार्ड के पंजीकरण के वक्त ही भारत माता की जय कहलवाकर आवेदक की आवाज़ का बायोमीट्रिक नमूना दर्ज कर लिया जाए. नारा नहीं लगाया, तो कार्ड नहीं मिलेगा! यह काफी आसान है)
मोदीजी, ऐसा ‘नारा कानून’ दुनिया में अपने किस्म का इकलौता होगा, लिहाजा इसका संरक्षण भी नए तरीकों से करना होगा. यह नारा केवल उन लोगों से ताल्लुक नहीं रखता जो भारत माता की जय कहते हैं, बल्कि उनसे भी इसका लेना-देना होना चाहिए जो यह नारा नहीं लगा सकते. यह बात आपको विचित्र लग सकती है, लेकिन ठहरिए, मैं समझाता हूं.
मोदीजी, ‘नारा कानून’ दुनिया में अपने किस्म का इकलौता होगा
सबसे पहले तो आपको दुनिया भर में बसे दो करोड़ से ज्यादा प्रवासी भारतीयों को भारत माता की जय बोलने से रोकना होगा. आप खुद ही देखिए, ये लोग ऐसे शोहदों की तरह हैं जो तड़क-भड़क वाली किसी लड़की को देखकर अपनी भोली-भाली मध्यवर्गीय प्रेमिका के साथ विश्वासघात कर बैठते हैं.
इसके बावजूद इनकी हिम्मत देखिए कि बीच-बीच में मौज लेने के लिए ये अपने पहले प्यार के पास लौट भी आते हैं क्योंकि ऐसा करना इन्हें सुकून देता है.
मैं जानता हूं कि ऐसा करना आपके लिए थोड़ा मुश्किल होगा, लेकिन दो साल हो गए आपको इन लोगों से कहते हुए कि वापस आओ, भारत का निर्माण करो, मेक इन इंडिया, इनवेस्ट इन इंडिया, फिर भी कुछ नहीं हुआ.
भारत माता की जय का घोष देशभक्ति दर्शाने के लिए है- आखिर ये कैसे देशभक्त हैं जो कभी न वापस आने के लिए अपनी मातृभूमि को छोड़कर जा चुके हैं? क्या एक देशभक्त भारत वापस लौटने के लिए सही वक्त के इंतज़ार में ‘पीढ़िया’ गुज़ार देता है?
इसके बरक्स धरती का सच्चा लाल कठिनाइयों के बीच रहकर उनसे लड़ता है, भ्रष्टाचार, लालफीताशाही, सांप्रदायिक विभाजन, गरीबी आदि से जूझता रहता है और फिर भी देश में बना रहता है.
सर, इन लोगों के इस झांसे में मत आइए कि ये देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए बाहर से खूब पैस भेज रहे हैं. भारत किसी की रखैल नहीं है कि पैसा फेंक कर उसे खुश रखा जा सके और वैसे भी जो पैसा आ रहा है वह उनके परिवारों के लिए है, न कि भारत माता के विकास के लिए.
दूसरे, हाल ही में भारत और वेस्टइंडीज़ के मैच के दौरान हर तरह के लोगों को खुलेआम राष्ट्रवादी नारे लगाते देख कर मुझे बहुत चोट पहुंची थी.
हाल ही में भारत-वेस्टइंडीज़ के मैच के दौरान लोगों को खुलेआम राष्ट्रवादी नारे लगाते देख कर मुझे बहुत चोट पहुंची थी
हमारी पारी जब अच्छे योग पर खत्म हुई तो हवा में भारत माता की जय का नारा गूंज रहा था लेकिन वेस्टइंडीज़ ने जब हमें रौंदना शुरू किया, तब वही आवाज़ें नस्लभेदी गालियों में तब्दील हो गईं.
सर, आप अपशब्द, नफ़रत भरी ज़ुबान, मानहानि में लिप्त लोगों के खिलाफ़ कठोर कार्रवाई करने में विश्वास रखते हैं.
इसी लिहाज से कह रहा हूं कि प्लीज़, हमारे नारे को क्रिकेट मैचों से बचा लीजिए क्योंकि अगर यही रफ्तार रही, तो जब-जब हम कोई मैच हारेंगे तब-तब भारत माता की प्रतिष्ठा व सम्मान को गहरा खतरा पहुंचेगा.
मोदीजी, अंत में मैं उम्मीद करता हूं कि आप भी इस बात से सहमत होंगे कि भारत माता की जय को चुनावी औज़ार नहीं बनाया जाना चाहिए.
राष्ट्रवाद और देशप्रेम राजनीतिक दलों व चुनावों से पार जाकर कहीं ज्यादा बड़े दायरे की चीज़ें हैं. वोट बटोरने जैसे टुच्चे कामों के लिए भारत माता की इज्ज़त पर कीचड़ नहीं उछाला जाना चाहिए.
वोट बटोरने जैसे टुच्चे कामों के लिए भारत माता की इज्ज़त पर कीचड़ नहीं उछाला जाना चाहिए
आप जैसी बेदाग छवि और दृढ़ता वाले एक शख्स को इस बारे में चुनाव आयोग को ज़रूर लिखना चाहिए और मांग करनी चाहिए कि इस संबंध में चुनाव आचार संहिता में बदलाव किए जाएं.
मुझे भरोसा है कि आपकी स्वैच्छिक कार्रवाई से बाकी सारे राजनीतिक दल भी वोट इकट्ठा करने के लिए राष्ट्रवादी नारेबाज़ी का इस्तेमाल नहीं करने को विवश होंगे.
आखिर किसे अच्छा लगेगा कि भारत माता कटोरा लेकर करोड़ों मतदाताओं के आगे हाथ फैलाकर भीख मांगती फिरे. उसे हमारे दिलों मे ही बसे रहने दें तो बेहतर है.
मुझे आशा है कि ऊपर कही गई बातों में आपको कुछ सार नज़र आएगा. आपकी यात्राओं की व्यस्तता से भी मैं अच्छी तरह वाकिफ़ हूं, फिर भी इस मेल की एक पावती अगर आप ट्वीट कर सकें, तो मैं सदैव आपका आभारी रहूंगा.
आपका ही