मुस्लिम समाज केवल सेक्युलर पार्टियों का वोट बैंक बन कर रह गया हैं. जब चाहे जैसे चाहे सेक्युलर पार्टियाँ इनका इस्तेमाल करती हैं. एक तरफ बीजेपी और संघ परिवार का डर दिखा कर इनसे वोट ले लिया जाता है. लेकिन इनको कयादत नहीं दी जाती. इसका उदहारण राज्यसभा के लिए होने जा रहे चुनावो में देखने को मिल रहा हैं.
जून में होने वाले राज्य सभा चुनावों के लिए तथाकथित मुस्लिम हितेषी पार्टिया (समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस) जो मुस्लिमों का साथ देने का दंब भरती हैं ने एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया है. तथाकथित मोलाना मुलायम जिनकी समाजवादी पार्टी से सबसे ज्यादा सांसद चुने जाएंगे. उन्होंने भी एक भी मुस्लिम को मैदान में नहीं उतारा है।
जून में चुनावों के बाद उत्तर प्रदेश से राज्यसभा में केवल चार मुस्लिम सांसद रह जाएंगे। इनमें से तीन सपा से और एक बसपा से होगा। हालाँकि भाजपा ने मुख्तार अब्बास नकवी जो यूपी से ही सांसद थे उनको अब झारखंड से उम्मीदवार बनाया हैं।
गोरतलब रहें कि सपा द्वारा एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को राज्य सभा का टिकट न दिए जाने के बाद मुसलमानों का एक प्रतिनिधि दल मुलायम सिंह यादव से मिला भी था। वहीं जामा मस्जिद के इमाम बुखारी ने भी विरोध जताया था। इमाम ने प्रदर्शन की चेतावनी तक दे डाली थी।