
यह एक आज़माया हुआ नुस्खा है, जिस ज़मीन के हिस्से को तहस नहस करना हो वहाँ किसी कट्टरपंथी को सत्ता सौंप दो।वोह खुद उपजाऊ ज़मीन को बंजर बनाकर छोड़ेगा। यक़ीन न हो तो पड़ोस के मुल्क़ से शुरू करो और जहाँ तक देख सकते हो उसके बाद भी देखते जाओ,हर तरफ रेगिस्तान में इंसानियत का ख़ून मिला दिखेगा। यह वोह ज़मीने थी जो कभी सबको साथ लेकर चलती थीं। आज खुद में सिमटी हुई लड़ रही है।
जब अमेरिका अंधाधुंध बम बरसा रहा था तब सबके दिलों में था इसका खात्मा कैसे होगा। जब इराक़ की ज़मीन से मासूम बच्चों के टुकड़े उड़ उड़ हवा में गिर रहे थे तब कौन सा दिल अमरीका के गुरूर को तोड़ने को नही सोच रहा था। क़ुदरत का निज़ाम देखिये। जिस नियम से उसने अरब की मगरूरियत को तोड़ा ठीक वही नियम अमरीका पर लाद दिया। कट्टर शासकों ने अरब की ज़मीन की खुशबू मिटाई थी। आज वैसे ही कट्टर को अमरीका का तख्त सौंप दिया गया है। जिस जिस देश में कट्टर शासक शीर्ष पर है एक नज़र उसकी अवाम को देख लें,ख़ून के आँसू रो रही है।
हम भी सोचते थे कभी की अमरीका को कौन हराएगा,अब नज़र से धुंध हट गई। तस्वीर साफ़ दिखने लग गई। अमरीका का गुरूर तोड़ने और उसकी बची कुची खासियत को खत्म करने के लिए क़ुदरत ने उसे कट्टर शासक दे दिया। यक़ीन न हो तो इतिहास उठाकर देखना रोम,जार,शुंग,मुगलिया सल्तनत से जहाँ तक इतिहास पढ़े हो,पलट कर दोबारा पढ़ना देखना जब जब यह कट्टरता की तरफ बढ़े हैं, तब तब सल्तनत डूबी ही हैं। वैसे एक इत्मिनान है इसके बाद निकलने वाला सूरज ज़्यादा तेज़ चमकेगा।
तारीख नोट कर लेना। हर कट्टर शासक के आने की तारीख और जाने की तारीख। देखना उन सालों में उसने कितने सेल्फ गोल किये हैं। यह भी देखना उसकी ज़बान और पैरों में कितना फ़र्क़ है। दिमाग को मत देखना,उसमे सिवाए नफ़रत के और क्या मिलेगा। अगर अपने इर्द गिर्द भी ऐसे कैरेक्टर नही दिख रहे हैं, तो क्या, इंतज़ार कीजिये कोहरे में परेशानी नज़दीक़ आने पर ही दिखती है। कोहरा छटने का इंतज़ार कीजिये।
