चंडीगढ़ हवाई अड्डे का नाम संघ प्रचारक पर रखा जाना दुर्भाग्यपूर्ण

Chandigarh Airport name be placed on promotional unfortunate
वसीम अकरम त्यागी

एक पल के लिय अगर यह मान भी लिया जाये कि औरंगजेब हिंदू कुश भी था, जालिम भी था, आक्रांत भी था, यानी उसमें वे सारे अवगुण विद्यमान थे जिसका प्रोपगेंडा संघ परिवार फैलाता आया है। मगर इस सच्चाई से कैसे मुंह मोड़ पाओगे कि सरदार भगत सिंह तो शहीद ए आजम हैं, ‘दुश्मन’ देश पाकिस्तान तक में भी भगत सिंह के नाम से चौराहे का निर्माण इसी साल कराया गया है।

कैसे छिपाओगे उस फांसी के फंदे को जिस पर भगत सिंह झूल गये थे ? क्या भगत सिंह की लड़ाई किसी एक समुदाय के लिये थी ? क्या भगत सिंह सिर्फ सिक्ख समुदाय के ही प्रतिनिधी थे ? क्या भगत सिंह की आंखों में यह संघ परिवार की तरह यह सपना पलता था कि पूरे देश को खालिस्तान बनाना है ?

इनमें से एक भी सवाल का जवाब हां में नहीं है। उसके बावजूद खट्टर और मोदी की साजिशों से चंडीगढ़ हवाई अड्डे का नाम संघ के प्रचारक रहे मंगल सेन पर रख दिया जाना कहां कौनसी राष्ट्रभक्ती, देशभक्ती में शुमार किया जायेगा ? मंगल सेन के परिवार ने तो अंग्रेजों की यातनाएं नहीं झेलीं थी ? खुद मंगल सेन ने भी इस देश के लिये अपना नाखून तक नहीं कटाया था देश के लिये शहीद हो जाना तो बहुत दूर की बात है। मंगल सेन का कोई ऐसा कारनामा भी नहीं था जिसके लिये देश उन्हें याद करे ?

बल्कि वे एक संगठन के प्रचारक रहे जिसके मुख्यालय पर 67 साल की आजादी में सिर्फ एक या दो बार तिरंगा फहराया है। उसके बावजूद शहीदों का अपमान और जिनका इस देश के सरोकारों से कोई वास्ता ही नहीं उनका सम्मान किया जा रहा है। देश किस तरफ जा रहा है ? देश की सत्ता पर बैठे लोग जो सिर्फ आजाद हवा में सिर्फ इसलिये सांस ले रहे हैं क्योंकि उसमें भगत सिंह जैसे शहीदों के खून की मिलावट है वे इस तरह शहीदों को अपमानित करेंगे। क्या मोदी इस कुकृत्य से अनजान हैं, क्या गृह मंत्री को नहीं मालूम कि भगत सिंह कौन थे और मंगल सेन कौन हैं ?

आरएसएस जुड़ा कोई भी व्यक्ति किसी भी राज्य का मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद, विधायक, या फिर जेलों में बंद आतंकवादी तो हो सकता है मगर वह भगत सिंह के समकक्ष खड़ा होने की ताकत नहीं रखता।

-लेखक जाने माने पत्रकार और समाजसेवी है 

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