शरणार्थियों के अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाली युद्ध विरोधी ब्रिटिश सांसद “जो कॉक्स” को एक चरमपंथी ने मार डाला।
जो कॉक्स की मौत पर मीडिया की प्रतिक्रया के बाद पश्चिमी में आतंकवादी हमलों के बारे में मीडिया के रवैये पर कई सवाल पैदा हो रहे हैं और बहुत से लोग खुल कर यह कह रहे हैं कि पश्चिमी मीडिया, आतंकवादी हमलों को, इस्लाम को बदनाम करने के लिए प्रयोग करता है।
ब्रिटिश पत्रकार नरगिस मुबल्लेग़ी ने अपने फेसबुक एकाउंट पर इस बारे में लिखा कि अगर कल एक मुसलमान ने “अल्लाहू अकबर” का नारा लगाते हुए सड़क पर ब्रिटिश सांसद की हत्या की होती तो पश्चिमी मीडिया की प्रतिक्रिया क्या होती?
सारे कार्यक्रमों का प्रसारण बंद करके सिर्फ इसी हमले पर बात की जाती,विभिन्न चैनलों के एंकर और पत्रकार सच्चाई जानने की कोशिश करने के बजाए, राजनेताओं और पुलिस अधिकारियों से बयान लेते नज़र आते और छोटी सी बात की भी अनदेखी नहीं करते ताकि उनकी कवरेज निंरतर जारी रहे।
लेकिन जब एक पागल गोर नारा लगाता है कि “पहले ब्रिटेन” तो हम देख रहे हैं कि मीडिया का अधिकतर हिस्सा इसे गलत सिद्ध करने पर तुले हैं, प्रत्यक्षदर्शियों से बात का प्रसारण बहुत कम होता है और सिर्फ हमले का शब्द प्रयोग किया जा रहा है और मीडिया में बार बार यह दोहराया जा रहा है कि “पुलिस को अपना काम करने दें।”
मीडिया हमला करने वाले क़ातिल का भी उल्लेख नहीं कर रहे, उसके बारे में नेताओं और पुलिस अधिकारियों से पूछताछ का तो सवाल ही नहीं।
वैसे इस प्रकार के अवसर पर यही रवैया सही है और उम्मीद है कि पश्चिमी मीडिया सभी घटनाओं के बारे में यही व्यवहार अपनाएंगे क्योंकि पश्चिमी मीडिया के मापदंड के अनुसार अगर जो कॉक्स की हत्या करने वाले का नाम “मुहम्मद” होता और “आईएसआईएस” से उसके संबंध होने की आशंका होती तो यक़ीन जानें ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरून टीवी पर आते और इसे इस पीढ़ी के लिए ब्रिटेन के प्रजातंत्र पर सब से बड़ा हमला करार देते और टीवी चैनल ब्रेकिंग न्यूज़ में सुर्खियों के साथ आतंकवादी हमले की खबर देते नहीं थकते!