तुर्की के बीच पर एक तीन साल के बच्चे की तस्वीर दुनिया भर में गहरी चिंता का कारण बनी हुई है, ये तस्वीर देख कर मानवता शर्मसार हो गई है, ऎसा लग रहा है कि इस तस्वीर के आगे दुनिया पूरी तरह खामोश हो चुकी है। सीरिया के शरणार्थियों के लिए यूरोप के रवैये से पूरी दुनिया अचंभित है। इस तस्वीर ने एक बार फिर से यूरोप में बढ़ रहे शरणार्थी संकट की तरफ लोगों का ध्यान खींचा है।
तीन साल के इस मासूम बच्चे का शव तुर्की के मुख्य टूरिस्ट रिजॉर्ट के पास समुद्र तट पर औंधे मुंह रेत पर पड़ा हुआ मिला था। ये सीरियाई बच्चा अपने माता-पिता के साथ एक नाव पर सवार होकर यूरोप जा रहा था जब इनकी नाव समुद्र में पलट गई। ये सभी लोग अपनी जान खतरे में डालकर यूरोप में शरण लेने की कोशिश में लगे थे। इस बच्चे की पहचान तीन साल के अयलान कुर्दी के रूप में हुई थी। अयलान लाल रंग की टी-शर्ट और ब्लू शॉर्ट पहने हुए था। आलयान के साथ 12 और लोगों के शव मिले हैं जिनमें इसका 5 साल का भाई गालिप, मां रिहाना और भी कई शरणार्थी शामिल हैं। सवाल उठ रहा है कि क्या अब भी यूरोपीय देशों की मानवता नहीं जाग रही। अब यह सवाल महज यूरोप के लिए नहीं बल्कि पूरी दुनिया की मानवता पर के सामने है, ये तस्वीर सीरिया से आ रहे उन तमाम शरणार्थियों की दशा को व्यक्त करती है जो अपने देश की जटिल परिस्थितियों के कारण यूरोपीय देशों की ओर समुंदर जैसे कठिन रास्ते से पलायन करने को मजबूर हैं मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो आलयान उत्तर सीरिया के छोटे से शहर कोबानी का रहने वाला था, ये शहर तुर्की सीमा से लगा हुआ है। जहां कुछ महीने पहले ही इस्लामिक स्टेट और सेना की बीच चल रहे संघर्ष की खबरें सामने आई थीं।
अयलान की उदास तस्वीर बिजली की गति से सोशल मीडिया के जरिए स्पेन से स्वीडन तक फैल गई और अखबार की सुर्खियों में शामिल हो गई। इसके साथ ही समालोचकों ने एक सुर में इस स्थिति की विवेचना युद्ध और संघर्ष के दौरान मध्य पूर्व और अफ्रीका के उन लोगों के हालातों से की है जो वहां से भागकर दूसरे देश में शरण लेना चाहते हैं।
ट्वीटर पर तुर्क हैशटैग#KiyiyaVuranInsanlik यानि मानवता का नाश के शीर्षक से ये तस्वीर ट्रेंड कर रही है। ब्रिटिश अखबार डेली मेल ने इसे मानवीय आपदा का मासूम शिकार कहा तो, इटली के अखबार ला-रिपब्लिका ने लिखा कि दुनिया को खामोश करती एक उदास तस्वीर ब्रिटिश अखबार इंडिपेन्डेंट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि अगर ऎसी सशक्त तस्वीरों के बाद भी ब्रिटेन का शरणार्थी के प्रति रवैया नहीं बदलेगा तो फिर किस चीज से हालात बदलेंगे।
इस साल अब तक साढ़े तीन लाख से भी ज्यादा लोग उत्तरी अफ्रीका से यूरोप तक की खतरनाक यात्रा कर चुके हैं, इनमें से कई लोग वैसे हैं जिन्हें लीबिया से मानव तस्करी कर यूरोप लगाया गया है। इनमें से तकरीबन 3000 लोगों बुधवार को समुद्र तट के पास से बचाया
वसीम अकरम त्यागी