जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने शोपियां फायरिंग मामले में सवाल खड़े करते हुए कहा कि सरकार तमाम एफआईआर होने के बावजूद सुरक्षाबलों पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है.
बता दें कि 27 जनवरी को सेना ने 27 जनवरी को पत्थर फेंक रही भीड़ पर गोलीबारी की थी. जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई. इस मामले में सेना के खिलाफ FIR की गई है. हालांकि सेना का कहना है कि यह एफआईआर पुलिस द्वारा मामले की जांच करने, संदिग्धों की पहचान करने और उन पर मुकदमा चलाने के लिए है.
सदन में चर्चा के दौरान उमर ने सरकार से सवाल करते हुए कहा कि तमाम एफआईआर के बावजूद भी सुरक्षाबलों पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई. उन्होंने कहा कि साल 2000 से राज्य सरकार ने केंद्रीय सुरक्षा बलों, खासतौर पर थल सेना के खिलाफ अभियोजन की इजाजत के लिए 50 अनुरोध केंद्र को भेजे हैं. 47 अनुरोध खारिज कर दिए गए और तीन अब भी लंबित हैं, यह हमारा ट्रैक रिकॉर्ड है.
इस दौरान उन्होंने मारे गए लोगों के परिजनों सहित अहमद डार को मुआवजा देने की भी मांग की, जिन्हें सेना की एक जिप्सी के बोनट से बांधकर घुमाया गया था. उमर ने कहा कि डार को बांधने वाली सेना को पुरस्कार मिल गया लेकिन चुनाव में मतदान करने वाला यह युवक क्या मुआवजा पाने का हकदार नहीं है.
When state human rights commission took notice of it, (Farooq Dar who was tied to jeep) compensation was announced but you(J&K CM) could not even give that. In written reply you said if we give compensation it would mean forces are guilty: Omar Abdullah pic.twitter.com/aVkEulO5jV
— ANI (@ANI) February 2, 2018
उमर ने महबूबा मुफ्ती पर आरोप लगाते हुए कहा कि मानवाधिकार आयोग में फारूक डार को मुआवजा देने का आदेश दिया था लेकिन सरकार ने इसे यह कहकर मानने से इंकार कर दिया कि अगर आयोग का आदेश माना जाए तो यह सुरक्षाबलों का मनोबल गिराने वाला कदम होगा.