केंद्र और महाराष्ट्र की सत्ता में भारतीय जनता पार्टी की ख़ास सहयोगी शिवसेना ने 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों को अमान्य करने के फैसले को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आलोचना करते हुए कहा कि सीमापार सेना के लक्षित हमले के बाद भी संघर्षविराम उल्लंघन के मामले बढ़े है और समय बतायेगा कि कालाधन पर दूसरा लक्षित हमला कितना सफल रहता है.
पार्टी ने कहा कि भ्रष्टाचार एक सोच है और जब तक इसमें कोई बदलाव नहीं आता है, कालाधन की बीमारी पर पूरी तरह से लगाम नहीं लगाई जा सकेगी. मुखपत्र सामना के संपादकीय में पार्टी की और से कहा गया कि, ‘‘मोदी ने पिछले महीने पाकिस्तान के आतंकी शिविरों के खिलाफ अचानक सर्जिकल स्ट्राइक किया और अब उन्होंने कालाधन के खिलाफ लक्षित हमला किया है.”
शिवसेना ने चुनावी वादों को लेकर सवाल उठाते हुए कहा कि विदेशों में जमा कालाधन को देश में वापस लाने और भारतीयों के खाते में 15 लाख रूपये जमा करने से था. विदेशों में जमा कालाधन वापस लाने के बारे में सरकार अभी तक कितनी सफल रही है?
इसमें कहा गया है कि मोदी ने अपने तरीके से इसका जवाब दिया है और 500 रूपये एवं 1000 रूपये के नोटों को अमान्य कर दिया.