पटना | प्रधानमन्त्री मोदी के नोट बंदी के फैसले को आज 33 दिन हो चुके है. पिछले एक महीने से पूरा विपक्ष मोदी सरकार को घेरने में लगा हुआ है. लेकिन दो शख्स ऐसे है जो विपक्ष में होते हुए भी नोट बंदी का समर्थन कर रहे है. एक है बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार और दुसरे है उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक. नितीश कुमार का नोट बंदी को समर्थन करना अब राजद को रास नही आ रहा है. इसलिए महागठबंधन में रार पड़ती दिख रही है.
राष्ट्रिय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने नोट बंदी का शुरुआत से ही विरोध किया है. लालू प्रसाद का यह विरोध अब नीतिश कुमार के लिए मुसीबत का सबब बनता जा रहा है. राजद के विधायक , जदयू के खिलाफ मोर्चा बंदी करने लगे है. दरअसल लालू प्रसाद यादव ने नोट बंदी के विरोध में सडको पर उतरने का फैसला किया है. इसके लिए लालू ने 17 दिसम्बर को एक बैठक बुलाई गयी है.
इस बैठक में आगे के कार्यक्रम तय किये जायेंगे. लालू के निर्णय के बाद जदयु के साथ उनके गठबंधन में खटास आ सकती है. राजद विधायक भाई बिरेन्द्र सिंह ने कहा की जो नेता नोट बंदी पर लार टपकते हुए केंद्र का समर्थन कर रहे है, उन्हें अब जनता को जवाब देना चाहिए. राजद के इस वार पर जदयू ने भी पलटवार किया है .जदयू नेता श्याम रजक ने कहा की राजनीति में लार नही टपकाई जाती बल्कि जनता की सेवा की जाती है.
जब श्याम रजक से राजद के आन्दोलन के कार्यक्रम के बारे में पुछा गया तो उन्होंने कहा की गठबंधन में होने के बावजूद हर दल स्वतन्त्र है. प्रत्येक दल की हर मुद्दे पर अपनी अपनी राय है. इसलिय राजद भी नोट बंदी के मामले में आन्दोलन करने के लिए स्वतंत्र है. उधर लालू प्रसाद यादव ने ट्वीट कर मोदी पर निशाना साधा. उन्होंने लिखा की मोदी को भारत की नही इंडिया की फ़िक्र है. वो उन 80 फीसदी लोगो की चिंता नही करते जो कृषि से जुड़े है. उन्होंने उन दो फीसदी लोगो की चिंता है जिनके पैसे से शेयर बाजार में उतार चढाव होता है.